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स्वर्ण हरफों की दास्तान

हमें फॉलो करें स्वर्ण हरफों की दास्तान
-बुरहानुद्दीन शकरूवाला

दाऊदी बोहरा समाज के रुहानी पेशवा 52वें दाईल मुतलक डॉ.सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब का दौर तवारीख के पन्नों पर स्वर्ण हरफों की दास्तानों का सफर है। हर मंजिलों पर शमाए-हिदायते के पहलू रोशन होते हैं। 88वीं सालगिरह के मुबारक दिनों में सैयदना साहब ने मोमिनों को कुरआन शरीफ को तलफ्फुज व तरन्नुम से पढ़ने की ओर प्रेरित किया।

कुरआन शरीफ की तालीम की रोशनी में सैयदना साहब के इरशादात हैं कि यूँ तो कुरआन हर दौर और इलाके के लोगों के लिए दावत-ए-ईमान देता है। लेकिन हमारे लिए इस अम्र्र की तहकीक व तफ्तीश की राहें खुली हैं। कुराने करीम का तजे तखातुब मुकम्मल तहफ्फुजात और जनमानते, जिनका इसमें जिक्र किया गया है, वह वसाइल जराए जो उसने मुहैया किए हैं।

सबसे बढ़कर यह कि कुरान ने वह मजहबी उसूल फराहम कर दिए जो मुकम्मल पाकबाजी और कामयाब जिंदगी की जानिब मुसलसल पेशकदमी के लिए एक ठोस बुनियाद फराहम करते हैं।

सैयदना साहब कुरआन शरीफ के हर नुक्ताए नजर से खिताब फरमाते हुए बयान करते हैं- 'जब हम कुराने करीम की उन सिफत और खूबियों की तलाश में निकलते है, जिनका अल्लाह ने खुद अपने कलाम में तजकिरा फरमाया है, तो हमें अपने हर सवाल का इतमिनान बख्श जवाब मिलता है।

'कुराने मजीद अल्लाह की जानिब से ऐसी रोशनी है जो हमें अजरोह इनायत अता की गई है। यह जिंदगी के घोर अँधेरों में मश्अल की हैसियत रखती है। यह शुकूको शुबहात की दलदल में फँसी रूहों और परेशान जहनों के लिए मरहम है।


यह सच और झूठ के दरमियान तफरीक करती है। इसमें ऐसी खुली निशानियाँ हैं जो इसके मानने वालों को दोजख के अजाब से बचाती है। कुरआन इल्मो आगही का ऐसा खजाना है जो असरारो रूमूज से पर्दा उठाता है।

यह दुनिया के लिए एक खुशखबरी रजा-ए-इलाही इसकी रूह है। कुराने मजीद की यह नुमायाँ खूबियाँ बताते हुए खुद अल्ला तआला ने अपने कलाम में इरशाद फरमाई है। यह वह वाजेह सिफत है जो इसकी लाजावल हकीकत की निशानदेही करती है।

सैयदना साहब की दावत है- 'हम कुराने हकीम के इरशादात को खुलूस दिल से सुनें। हमें बेदार दिलो-दिमाग और पूरी समझ-बूझ के साथ इस पर कान धरना चाहिए ताकि हम जान लें कि अल्लाह ने कुराने हकीम के औराक में अपने कलाम की सिफात को हम पर किस तरह जाहिर किया है।' वही तो है जो अपने बंदे पर वाके आयतें नाजिल करता है, ताकि उनको अँधेरे से निकालकर रोशनी में लाए। बेशक खुदा हम पर बहुत शफक्कत करने वाला और मेहरबान है।

सैयदना साहब का कुरआन व शरीयतें इस्लाम की रोशनी में इरशाद है- 'अल्लाह तआला ने कुराने मजीद की शहादत, रोशनी, रहनुमाई और रेहमत जैसी बहुत सी सिफत का बार-बार जिक्र किया है, उन लोगों के लिए जो कुराने मजीद की हिदायतों पर अकीदत और खुलूस नीयत से अमल करते है। यह सिफत खुशगवार नताईज और अच्छी नेमतों की दावत नवेद देती है।

अगर हम कुरआन की सिफत और फजीलतों को गिनने पर आएँ तो फिर गिनते ही चले जाएँगे। यह सिलसिला कहीं नहीं रुकेगा। वक्त की तमाम हदें तक खत्म हो जाएँगी, लेकिन यह जिक्र खत्म न होगा। अल्लाह के आखरी नबी की जिंदगी एक आईने की तरह है, जिसमें कुराने करीम उसके दरख्शाँ उसूलों और आला अकदार का अक्स छलकता है गोया अल्लाह का रसूल उसके कुरान के सिफत में बराबर का शरीक है।'

सालगिरह के इन दिनों में सैयदना साहब ने बच्चों, युवाओं, मर्दों औरतों, बुजुर्गों को कुरआन शरीफ 'हिफ्ज' करने, सही तल्फ्फुज व तरन्नुम से पढ़ने की मश्लसल हिदायतें फरमाई हैं, जिसके नतीजे में हर घर के परिवार के सदस्यों में कुरआन शरीफ की तिलावत के प्रति नई चेतना बेदार हुई।

कुरआन शरीफ के वास्ते से सैयदना साहब की खुदा से दुआ है- 'या अल्लाह कुराने मजीद को रात की 'तारीकियों में हमारा रहबर बना और उसके जरिये हमें शैतान की तरगीबों से मेहफूज रख। गुनाह की तरफ जाने से रोकने के लिए हमारे गिरद उसका हिसार खींच दो और उसके तवस्सुल से हमारे जिस्मों-आजा को मासियत की दल-दल से बचा ले।'

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