अनुराग तागड़े उनका आभामंडल सुरों की पवित्रता से दमकता रहता है... सुर उनके गले में स्थान पाकर अपने आप को धन्य समझते हैं, क्योंकि वे जब भी गाते हैं बिलकुल सच्चा और शुद्ध गाते हैं। पं. भीमसेन जोशी भारतीय शास्त्रीय संगीत और किराना घराने के ऐसे आधार स्तंभ हैं जिन्होंने कलाकार बनने की हरेक सीढ़ी को केवल मेहनत के बल पर ही पार किया है और ऐसी मेहनत को अगर भारतरत्न मिलता है तो निश्चित रूप से न केवल कलाकारों व उनके चाहने वालों को खुशी होती है बल्कि स्वयं संगीत भी अपने आप को धन्य समझता है। संगीत और आध्यात्म की गहरी दोस्ती है यह तथ्य सर्वमान्य है पंडितजी की गायकी में आध्यात्म की खुशबू और ख्याल गायकी का सुकून दोनों ही सुनने को मिलता है। मर्दाना सुर लगाने वाले ख्याल गायकी के भगवंत पं. भीमसेन जोशी ने ताउम्र एक आज्ञाकारी शिष्य की ही भूमिका निभाई। |
पं. भीमसेन जोशी भारतीय शास्त्रीय संगीत और किराना घराने के ऐसे आधार स्तंभ हैं जिन्होंने कलाकार बनने की हरेक सीढ़ी को केवल मेहनत के बल पर ही पार किया है और ऐसी मेहनत को अगर भारतरत्न मिलता है... |
|
|
अपने गुरु श्री रामचंद्र गणेश कुंदगोळकर (सवई गंधर्व) की स्मृति में वे गत कई वर्षों से लगातार पूना में प्रतिवर्ष शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसकी लोकप्रियता इतनी है कि विदेशों से भी लोग केवल शास्त्रीय संगीत सुनने के लिए पूना आते हैं।
मेहनतकश कलाकार, बेहतरीन इंसान और दबंग व्यक्तित्व के धनी पं. भीमसेन जोशी आज भी बीमार होने के बावजूद पूना की लक्ष्मीपार्क कॉलोनी स्थित अपने घर में प्रतिदिन आधा घंटा अपने प्रशंसकों से मुलाकात करते हैं।