Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सबसे पहले मक्का जाएँगे मुशर्रफ!

हमें फॉलो करें सबसे पहले मक्का जाएँगे मुशर्रफ!
इस्लामाबाद (भाषा) , मंगलवार, 19 अगस्त 2008 (14:14 IST)
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के शीघ्र ही अपने परिवार के साथ उमरा के लिए मक्का जाने की संभावना है। इसके बाद ही वे तय करेंगे कि उन्हें पाकिस्तान में रहना है या देश के बाहर।

अखबारों में प्रकाशित खबरों में कहा गया है कि पीपीपी नीत सत्तारूढ़ गठबंधन के महाभियोग प्रस्ताव से बचने के लिए इस्तीफा दे चुके मुशर्रफ सऊदी अरब जाने से पहले कुछ समय देश में ही रहेंगे।

खबरों में कहा गया है कि मुशर्रफ यह आभास नहीं होने देना चाहते कि वे गठबंधन द्वारा स्वयं पर लगाए गए आरोपों से बचने के लिए देश छोड़ रहे हैं।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस्तीफे की घोषणा करने के बाद मुशर्रफ इस्लामाबाद के मध्य में स्थित राष्ट्रपति कार्यालय छोड़ कर रावलपिंडी के अपने अस्थाई शिविर में चले गए। समझा जाता है कि वे अभी कुछ दिन यहीं रहेंगे।

मक्का जाने के बाद मुशर्रफ कुछ समय पाकिस्तान से बाहर बिताएँगे। डेली टाइम्स के एक सूत्र ने बताया कि हो सकता है कि मुशर्रफ अपने परिजनों से मिलने के लिए अमेरिका भी जाए। मुशर्रफ के छोटे भाई नावेद डॉक्टर हैं और शिकागो में रहते हैं। मुशर्रफ का बेटा बिलाल बोस्टन में रहता है।

खबरों में यह भी कहा गया है कि मुशर्रफ ने सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ एक समझौते के तहत इस्तीफा दिया है। इस समझौते के अंतर्गत उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी, उनके किसी भी कार्य के असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद भी उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।

इस समझौते के गारंटर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी, अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब हैं।

शुरू में मुशर्रफ पाकिस्तान में ही रहना चाहते थे। उन्होंने सरकार से सुरक्षा की माँग भी की थी। लेकिन उनके करीबियों ने उन्हें समझाया कि देश में वे कभी सुरक्षित नहीं रह सकते। इसके बाद मुशर्रफ ने अपना इरादा बदल दिया।

समझा जाता है कि मुशर्रफ सऊदी अरब, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका में से किसी एक जगह पर रहना पसंद करेंगे।

डान अखबार में कूटनीतिक सोतों के हवाले से कहा गया है कि मुशर्रफ सऊदी अरब में रहने के लिए ज्यादा उत्सुक नहीं हैं। हालाँकि वे वहाँ पूरी सुरक्षा के साथ रह सकते हैं, लेकिन उन्हें वहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं होगी।

तुर्की में मुशर्रफ ने बचपन के छह साल गुजारे हैं और यह उनके लिए एक आकर्षक गंतव्य हो सकता है। लेकिन इराक से नजदीकी के कारण तुर्की को मुशर्रफ के लिए सुरक्षित नहीं समझा जा रहा है। इराक में अलकायदा अपनी मजबूत उपस्थिति दर्शाता रहा है और तुर्की में उसके लिए मुशर्रफ को निशाना बनाना मुश्किल नहीं होगा।

वाशिंगटन में कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि मुशर्रफ किसी अन्य स्थान पर जाने से पहले कुछ समय सऊदी अरब में रह सकते हैं। हो सकता है कि बाद में वह अमेरिका में रहना पसंद करें।

सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने सोमवार को एक बैठक की जिसमें उन्होंने मुशर्रफ को सुरक्षित रास्ता देने के सवाल पर चर्चा की, लेकिन कोई निर्णय नहीं कर पाए।

सूत्रों का कहना है कि पीपीपी के सहअध्यक्ष आसिफ अली जरदारी बीते हुए कल को भूल जाने और पाकिस्तान तथा जनता के सामने मौजूद वास्तविक मुद्दों का समाधान करने के लिए उत्सुक हैं। वे पूर्व राष्ट्रपति के भाग्य पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहते।

एक सूत्र ने डेली टाइम्स को बताया जरदारी बदले की राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखते। वह पीएमएल-एन के कुछ नेताओं तथा कुछ पक्षपाती मीडियाकर्मियों की तरह जनरल मुशर्रफ से हिसाब चुकाना नहीं चाहते।

इस बीच आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक ने कहा कि मुशर्रफ को वही सुरक्षा दी जाएगी जो राष्ट्रपति को दी जाती है। सरकार उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराएगी।

बहरहाल मुशर्रफ की सुरक्षा के लिए तैनात 200 पुलिसकर्मियों सहित 600 सुरक्षाकर्मी राष्ट्रपति पद से उनके इस्तीफे के तत्काल बाद ही वापस बुला लिए गए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi