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इस्तीफा न देते तो...

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परवेज मुशर्रफ इस्तीफा नहीं देते तो उनके पास दो विकल्प थे...
1. उनको पाकिस्तान की प्रांतीय, नेशनल असेम्बली और सीनेट का विश्वास हासिल करना होता।
अड़ंगा- यह उनके लिए बेहद कठिन था, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 310 सदस्यों का समर्थन था, जो दो-तिहाई बहुमत के लिहाज से काफी था।
2. उन्हें संयुक्त सत्र में उपस्थित होने के लिए कहा जाता और आरोपों के बचाव में जवाब देना होता।
अड़ंगा- मुल्क के सारे वकील उनके खिलाफ हैं, ऐसे में कौन मुशर्रफ का साथ देता।

खुद को समझ बैठे लिंकन : वर्दी में बरसों से बंद इस जनरल ने और भी चेहरे अपने ऊपर ओढ़ रखे थे। देश में वकीलों के अपने खिलाफ विरोध को देखते हुए मुशर्रफ ने अपनी तुलना पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन और नेपोलियन बोनापार्ट से की थी, उन्होंने जो कहा था, वह कुछ इस तरह है- 'मैंने संविधान निलंबित कर दिया है। मैं देश को गिरने से बचाने के लिए हस्तक्षेप कर रहा हूँ। मैं इस मुल्क को आत्महत्या करने नहीं दूँगा।' (नईदुनिया)

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