Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

द्रौपदी मुर्मू : संघर्ष के दिनों को पार कर देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने वाली भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति की प्रेरणादायक कहानी

Advertiesment
हमें फॉलो करें President of india

WD Feature Desk

, मंगलवार, 24 जून 2025 (17:47 IST)
draupadi murmu biography : भारत का राष्ट्रपति भवन, जो भव्यता और शक्ति का प्रतीक है, उस तक पहुँचने का रास्ता बहुत कम लोग तय कर पाते हैं। और जब यह रास्ता एक ऐसे व्यक्ति द्वारा तय किया जाता है, जिसका जीवन संघर्षों से भरा रहा हो, तो यह कहानी और भी प्रेरणादायक हो जाती है। द्रौपदी मुर्मू, एक ऐसा नाम जो अब भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो चुका है। वे न केवल भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं, बल्कि उनका जीवन उन अनगिनत लोगों के लिए आशा की किरण है, जिन्होंने अभावों और मुश्किलों के बीच भी अपने सपनों को मरने नहीं दिया।

एक साधारण शुरुआत
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गाँव में एक संथाली आदिवासी परिवार में हुआ था। यह क्षेत्र आदिवासी संस्कृति और परंपराओं से ओतप्रोत है, लेकिन साथ ही शिक्षा और सुविधाओं के मामले में पिछड़ा हुआ भी है। ऐसे माहौल में, शुरुआती जीवन में ही उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनके माता-पिता ने शिक्षा के महत्व को समझा और द्रौपदी को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला विश्वविद्यालय से कला स्नातक की डिग्री हासिल की, जो उस समय आदिवासी समुदाय की एक लड़की के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।

शिक्षक से समाज सेवा तक:
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षिका के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। रायरंगपुर के श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में वे बच्चों को पढ़ाती थीं। यह एक ऐसा काम था जो उन्हें प्रिय था और जिसने उन्हें ज़मीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने का मौका दिया। शिक्षकों के रूप में, वे सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि मूल्यों और संस्कारों को भी बच्चों में सींचती थीं। उनकी यह विनम्र शुरुआत ही उनके सामाजिक जुड़ाव का पहला कदम बनी।
इसके बाद उन्होंने ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी काम किया। इन अनुभवों ने उन्हें सरकारी कामकाज और आम लोगों की समस्याओं को और करीब से समझने का अवसर दिया।

पारिवारिक जीवन में टूटा दुखों का पहाड़
द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था । शादी के बाद उन्होंने दो बेटों और एक बेटी को जन्म दिया। पहले उनके दोनों बेटों का निधन हो गया और फिर पति का भी देहांत हो गया। बच्चों और पति की मृत्यु द्रौपदी मुर्मू के लिए असहनीय थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा।

राजनीति में प्रवेश:
सामाजिक कार्यों के प्रति उनका रुझान उन्हें राजनीति की ओर ले गया। 1997 में, उन्होंने रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। यहीं से उनके जनसेवा के बड़े सफ़र की नींव रखी गई। उसी वर्ष वे रायरंगपुर नगर पंचायत की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं।
उनकी ईमानदारी, सादगी और कर्तव्यनिष्ठा ने उन्हें जल्द ही लोकप्रिय बना दिया। 2000 में, वे रायरंगपुर विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं और ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) और भाजपा गठबंधन सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनीं। उन्होंने मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास, और वाणिज्य और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला। 2009 में वे फिर से विधानसभा सदस्य चुनी गईं।

राज्यपाल के रूप में एक मील का पत्थर
मई 2015 में, द्रौपदी मुर्मू को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए और राज्य के आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाई। झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल सराहनीय रहा। वे इस पद पर अपने पाँच साल के कार्यकाल को पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल भी बनीं।

राष्ट्रपति का सर्वोच्च पद
2022 में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया। यह घोषणा अपने आप में ऐतिहासिक थी, क्योंकि यह पहली बार था कि किसी आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए नामित किया गया था। व्यापक समर्थन के साथ, 25 जुलाई 2022 को द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।

द्रौपदी मुर्मू का यह सफ़र सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह करोड़ों वंचित और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ संकल्प, ईमानदारी और अटूट विश्वास के साथ कोई भी व्यक्ति किसी भी चुनौती को पार कर सकता है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि लोकतंत्र में कोई भी पद पहुँच से बाहर नहीं होता, बशर्ते आपके पास जनसेवा और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव हो।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Share bazaar: पश्चिम एशिया के घटनाक्रम से शेयर बाजार ने शुरुआती बढ़त गंवाई, Sensex 158 और Nifty 72 अंक चढ़ा