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बीएस येदियुरप्पा : प्रोफाइल

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बीएस येदियुरप्पा एक ऐसा नाम, जो भाजपा की राज्य इकाई के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं। वर्तमान में वे राज्‍य में तीसरी बार मुख्‍यमंत्री बनाए गए हैं। येदियुरप्पा भाजपा के एक ऐसे नेता हैं, जिनके बूते पर पार्टी ने पहली बार दक्षिण भारत में ना सिर्फ जीत का स्वाद चखा, बल्कि सत्ता पर शासन भी किया, हालांकि यह बात और है कि येदियुरप्पा का शासनकाल अपने काम से ज्यादा विवादों के कारण सुर्खियों में रहा।
 
 
प्रारंभिक जीवन : येदियुरप्पा का जन्म मांड्या जिले के बुकानाकेरे में 27 फरवरी 1943 को लिंगायत परिवार में  हुआ। राज्य की राजनीति में लिंगायत वोट बैंक का खासा असर है। छात्र जीवन से ही वे राजनीति में सक्रिय रहे हैं। 1965 में सामाजिक कल्याण विभाग में प्रथम श्रेणी क्लर्क के रूप में नियुक्त येदियुरप्पा नौकरी छोड़कर शिकारीपुरा चले गए, जहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की शंकर चावल मिल में एक क्लर्क के रूप में कार्य किया।

अपने कॉलेज के दिनों में वे आरएसएस का हिस्सा रहे। 1970 में उन्होंने सार्वजनिक सेवाएं शुरू कीं, जिसके बाद उन्हें इसी सीट का कार्यवाहक नियुक्त किया गया। बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा को ज्यादातर हिन्दी भाषी बीएस येदियुरप्पा के नाम से जानते हैं। उनके दो पुत्र और तीन बेटियां हैं। जब वो चार साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया।
 
राजनीतिक जीवन : साल 2007 में कर्नाटक में राजनीतिक उलटफेरों के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, जिसके बाद जैसे-तैसे जेडीएस और भाजपा ने आपसी मतभेदों को दूर किया। यह मतभेद येदियुरप्पा के लिए काफी सहायक साबित हुए और 12 नवंबर 2007 को भाजपा राज्य की सत्तासीन पार्टी बनी। 
 
येदियुरप्पा भाजपा के एक ऐसे नेता हैं, जिनके बूते पर पार्टी ने पहली बार दक्षिण भारत में ना सिर्फ जीत का स्वाद चखा बल्कि सत्ता पर शासन भी किया, हालांकि यह बात और है कि येदियुरप्पा का शासनकाल अपने काम से ज्यादा विवादों के कारण सुर्खियों में रहा। तीन साल बाद खनन घोटाले में फंसने के बाद येदियुरप्पा की सत्ता चली गई।
 
शिकारीपुरा सीट से वे 1983 से जीतते आ रहे हैं। सिर्फ एक बार ही 1999 में उन्हें कांग्रेस के महालिंगप्पा से हार का सामना करना पड़ा था। सीएम की कुर्सी जाने के बाद येदियुरप्पा भाजपा से अलग हो गए। ऐसे में लगा कि वे पूरे लिंगायत फैक्टर के साथ कोई नया दांव खेलेंगे। 
 
हालांकि कुछ दिनों बाद ही भाजपा को लगा कि उनके बिना पार्टी का दक्षिण भारत में कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने के बाद जनवरी 2013 में पार्टी में दोबारा उनकी वापसी हुई। इतना ही नहीं 2018 में भाजपा ने दोबारा येदियुरप्पा पर ही दांव खेला और उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बनाया।

एक के बाद एक संकटों से उबरकर येदियुरप्पा ने खुद को पार्टी के अंदर राजनीतिक धुरंधर के रूप में साबित किया है। बीएस येदियुरप्पा एक ऐसा नाम, जो भाजपा की राज्य इकाई के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं। वर्तमान में वे राज्‍य में तीसरी बार मुख्‍यमंत्री बनाए गए हैं।

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