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Saturday, 19 April 2025
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राजनाथसिंह : प्रोफाइल

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हमें फॉलो करें Rajnath Singh's Profile
राजनाथसिंह के राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र जीवन से ही हो गई थी। उन्‍होंने भाजपा अध्‍यक्ष के तौर पर काफी प्रतिष्ठा हासिल की और दिखा दिया कि चाहे मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी हो या केंद्रीय मंत्री या फिर पार्टी की कमान, वे कुशलता से अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं।
प्रारंभिक जीवन : राजनाथसिंह का जन्‍म उत्तरप्रदेश के चंदौली जिले में 10 जुलाई 1951 को हुआ। उन्‍होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में एमएससी की डिग्री हासिल की। 1971 में वे मिर्जापुर में केबी पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कॉलेज में व्याख्याता नियुक्त हुए। वर्ष 1964 में 13 वर्ष की अवस्था में ही वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए। व्याख्याता बनने के बाद भी संघ से उनका जुड़ाव बना रहा।
 
पारिवारिक पृष्‍ठभूमि : राजनाथसिंह के पिता का नाम रामबदन सिंह और माता का नाम श्रीमती गुजराती देवी है। राजनाथ सिंह के परिवार में पत्‍नी सावित्री सिंह के अलावा दो पुत्र और एक पुत्री है। उनके दोनों पुत्र राजनीति में सक्रिय हैं। 
 
राजनीतिक जीवन : कदम-दर-कदम आगे बढ़ने वाले सिंह ने 1969 में गोरखपुर में भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में संगठन सचिव से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1974 में वे जनसंघ के मिर्जापुर इकाई के सचिव बने। 
 
आपातकाल के दौरान सिंह जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए। पहली बार 1977 में राजनाथ सिंह उत्तरप्रदेश से विधायक बने। 1977 में वे भाजपा के राज्य सचिव बने। 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव बनने वाले सिंह 1988 में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 1988 में ही सिंह उत्तरप्रदेश में विधान परिषद के सदस्य चुने गए। कल्याण सिंह सरकार के दौरान वे शिक्षामंत्री बने।
 
उत्तरप्रदेश की सियासत में भले ही वे लंबी पारी खेल चुके हो लेकिन संसद में वे पहली बार 1994 में पहुंचे जब उन्हें राज्यसभा टिकट मिला। ऊपरी सदन में उन्हें भाजपा का मुख्य सचेतक भी बनाया गया।
 
वर्ष 1997 में जब उत्तरप्रदेश राजनीतिक संकट का सामना कर रहा था, एक बार फिर से उन्होंने राज्य पार्टी अध्यक्ष की बागडोर संभाली और इस पद पर 1999 तक रहे। इसके बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार में भूतल परिवहन मंत्री बने।
 
केंद्र और राज्यों के बीच उनका आना-जाना लगा रहा। 28 अक्टूबर 2000 को वे रामप्रकाश गुप्ता की जगह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2002 तक वे राज्य के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन तब तक राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी बढ़त बना चुकी थीं।
 
भाजपा ने बसपा प्रमुख मायावती को उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर समर्थन देने को फैसला किया लेकिन सिंह ने इस कदम पर एतराज जाहिर किया था। इसके बाद एक बार फिर से वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने।
 
किसान परिवार से आने वाले सिंह ने 2003 में वाजपेयी मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री के तौर पर वापसी की। भाजपा में सिंह के आगे बढ़ने की यात्रा जारी रही। 31 दिसंबर 2005 को वे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। राजनीतिक हलकों में उन्हें काफी मृदुभाषी और बेलाग बोलने वालों में माना जाता है। इससे पहले भी वे इस भूमिका को अंजाम दे चुके हैं। 
 
2006 से 2009 के दौरान भाजपा प्रमुख के तौर पर उन्होंने काफी प्रतिष्ठा हासिल की और दिखा दिया कि चाहे मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी हो या केंद्रीय मंत्री या फिर पार्टी की कमान, वे कुशलता से जिम्मेदारी निभा सकते हैं।

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