History of Mainpuri Lok Sabha seat: समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। सपा ने इस सीट पर अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है। किसी समय यह सीट मैनपुरी जिला पूर्व के नाम से जाती जाती थी। भाजपा ने जयवीर सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है।
इस सीट पर 28 साल यानी 1996 से सपा का ही कब्जा है। वर्तमान में डिंपल यादव यहां से सांसद हैं। भले ही भाजपा यूपी में सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है, लेकिन इस सीट को सपा से छीनना भाजपा के लिए लगभग नामुमकिन है। क्योंकि भाजपा यहां से एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाई है।
1952 में पहली बार यहां से कांग्रेस के बादशाह गुप्ता चुनाव जीते थे। कांग्रेस इस सीट पर 5 बार चुनाव जीत चुकी है, जबकि 1977 और 1980 में इस सीट पर रघुनाथ सिंह वर्मा ने जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विजय हासिल की थी। 1989 से 1996 तक यहां जनता दल के टिकट पर उदय प्रताप सिंह चुनाव जीते थे।
मैनपुरी सीट पर 1996 से सपा का कब्जा : 1996 में इस सीट पर पहली बार मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी। तब से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है। वर्तमान में इस सीट से मुलायम की बहू डिंपल यादव सांसद हैं। मुलायम के निधन के कारण खाली हुई इस सीट पर डिंपल यादव ने 2 लाख 88 हजार वोटों से बड़ी हासिल की थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम यहां से 95 हजार वोटों से जीते थे। 2014 में मोदी लहर के बावजूद मुलायम सिंह ने शत्रुघ्न सिंह चौहान को 3 लाख 64 हजार 666 वोटों से हराया था।
डिंपल यादव कन्नौज से भी 2 बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं। एक बार के उपचुनाव में डिंपल कन्नौज से लोकसभा के लिए निर्विरोध चुनी गईं। आजादी के बाद डिंपल ऐसी चौथी नेता रहीं जो यूपी से निर्विरोध लोकसभा पहुंचीं। हालांकि डिंपल यादव को दो बार लोकसभा चुनाव में हार का स्वाद भी चखना पड़ा।
सीट का जातिगत गणित : मैनपुरी सीट का जातिगत गणित भी डिंपल यादव के पक्ष में ही है। यहां 3.5 लाख के लगभग यादव मतदाता हैं। इनमें बड़ा हिस्सा समाजवादी पार्टी के ही खाते में जाता है। यहां डेढ़ लाख के लगभग ठाकुर वोटर्स हैं, जबकि 1 लाख 60 हजार शाक्य मतदाता हैं। जबकि 1 लाख के लगभग वैश्य और मुस्लिम मतदाता हैं। यहां 20 हजार ब्राह्मण तथा जाटव मतदाता 1 लाख 40 हजार के आसपास हैं।
लोकसभा चुनाव में पलड़ा सपा का ही भारी रहने की संभावना है। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। करहल से अखिलेश यादव विधायक हैं, जबकि जसवंत नगर से उनके चाचा शिवपाल यादव विधायक हैं। किशनी सीट भी सपा के पास ही है, जबकि मैनपुरी और भोगांव सीट भाजपा के पास हैं।