मां राबड़ी चुनाव हारीं, पिता लालू 4 बार जीते, अब बेटी रोहिणी आचार्य सारण लोकसभा सीट से मैदान में
पहले छपरा लोकसभा, 2009 से सारण लोकसभा सीट
Saran Lok Sabha constituency: सिंगापुर में बैठकर अपने पिता लालू यादव के विरोधियों पर सोशल मीडिया के जरिए जमकर निशाना साधने वालीं रोहिणी आचार्य अब सारण लोकसभा सीट (Lok Sabha election 2024) पर राजद उम्मीदवार बनने के बाद खुलकर मैदान में आ गई हैं। 2009 से पहले यह सीट छपरा लोकसभा सीट के नाम से जानी जाती थी। भाजपा ने यहां से पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी को उम्मीदवार बनाया है। रूड़ी वर्तमान में इस सीट से सांसद हैं।
सारण का चुनावी इतिहास : सारण लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई। इससे पहले इसे को छपरा लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में यह सीट भाजपा के कब्जे में है। इस सीट पर सबसे ज्यादा 4 बार लालू प्रसाद यादव और राजीव प्रताप रूड़ी चुनाव जीते हैं। 1957 में यहां से पहला चुनाव प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राजेन्द्र सिंह ने जीता था, जबकि 1962 से कांग्रेस के रामशेखर प्रसाद सिंह लगातार तीन बार चुनाव जीते।
इसके बाद कांग्रेस कभी भी इस सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई। 1977 में लालू प्रसाद यादव यहां से पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते, दूसरी बार 1989 जनता दल के टिकट पर विजयी रहे। इसके बाद लालू 2 चुनाव राष्ट्रीय जनता दल के झंडे तले जीते।
भाजपा की पहली बार जीत : भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी 1996 में यहां से पहली बार चुनाव जीते। रूड़ी इस सीट पर 4 चुनाव जीत चुके हैं। 2004 और 2009 में लालू यादव के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2014 में राबड़ी देवी को हराकर उन्होंने लालू से अपनी हार का बदला ले लिया। 2019 में रूड़ी ने लालू के समधी चंद्रिका राय को चुनाव में पटखनी दी थी।
सारण लोकसभा सीट के अंतर्गत 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें तरैया, मढ़ौरा, अमनौर, छपरा, गरखा, परसा और सोनपुर विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 3 सीट पर भाजपा के विधायक हैं, जबकि 4 पर राष्ट्रीय जनता दल के विधायक हैं। ऐसे में यहां मुकाबला कांटे का होता दिखाई दे रहा है।
जातीय समीकरण : सारण सीट यादव बहुल है। यहां पर यादवों की संख्या करीब 25 फीसदी है, जबकि दूसरी सबसे बड़ी आबादी 23 फीसदी राजपूतों की है। इस सीट पर 20 प्रतिशत वैश्य समुदाय के लोग हैं, जबकि 13 प्रतिशत मुस्लिम और 12 फीसदी दलित हैं। रोहिणी यादव समुदाय से आती हैं, जबकि राजीव प्रताप राजपूत जाति से हैं। ऐसे में यहां मुकाबला दिलचस्प होने की पूरी उम्मीद है। क्योंकि रूड़ी जहां लालू यादव से चुनाव हार चुके हैं, वहीं रोहिणी की मां राबड़ी देवी को 2014 में चुनाव हरा चुके हैं।
सारण का प्राचीन इतिहास : गंगा, गंडक एवं घाघरा नदी से घिरा सारण जिला भारत के प्राचीन केंद्रों में एक है। भोजपुरी भाषी क्षेत्र की पूर्वी सीमा पर स्थित यह जिला सोनपुर पशु मेला, चिरांद पुरातत्व स्थल एवं राजनीतिक चेतना के लिए प्रसिद्ध है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म इसी जिले में हुआ था।
इसका नाम सारण पड़ने के पीछे भी कई मान्यताएं हैं। किसी समय यह इलाका हिरणों के कारण काफी प्रसिद्ध था। हिरण को सारंग भी कहा जाता है, यही कारण है यह इलाका सारंग अरण्य के नाम से भी जाना जाता रहा है। सम्राट अशोक के काल में धम्म स्तंभों को 'शरण' कहा जाता था। कहा जाता है कि शरण से ही आगे चलकर सारण नाम पड़ा।