कोविड 19 अर्थात कोरोनावायरस के काल में इम्युनिटी पावर बढ़ाने के बारे में सभी सोचने लगे हैं। इसके लिए कुछ लोग प्रतिदिन एक्सरसाइज या एक घंटा घुमने की सलाह देते हैं तो कुछ लोग विटामिन सी के अलावा अन्य तरह की आयुर्वेदिक दवाई लेने की सलाह देते हैं। इसी तरह कुछ लोग फल, फ्रूट, हरी सब्जियां और ड्राय फूट खाने की सलाह भी देते हैं और कुछ लोग भरपूर पानी पीने की सलाह भी देते हैं परंतु सभी के पीछे एक सत्य छुपा हुआ है जिसे कम ही लोग जानते होंगे।
वह सच यह है कि आपकी इम्यूनिटी पावर कुछ खाने से बढ़ती हो या नहीं बढ़ती हो परंतु पचने से भी बढ़ती है यह जानना जरूरी है। कुछ भी खाएं यदि वह समय पर पच नहीं रहा है तो सड़ेंगे और फिर उसके नुकसान ही होंगे। इसी तरह यदि खूब पानी पीया है और वह भी समय पर पच नहीं रहा है तो नुकसान ही करेंगे। इसीलिए योग में सम्यक आहार, सम्यक विहार और सम्यक निद्रा के बारे में कहा गया है। परंतु हम आपको प्राणामाय के बारे में बताते हैं कि यह किस तरह आपका इम्यून सिस्टम मजबूत कर सकता है।
पहले ये जानें : भोजन को अच्छे से पचाने में उचित जल और वायु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लोग भोजन पर तो ध्यान देते हैं परंतु जल और वायु पर नहीं। भोजन यदि नहीं मिलेगा को कुछ दिनों तो जिंदा रह सकते हो, जल भी नहीं मिलेगा तो भी कम से कम तीन दिनों तक तो जिंदा रह ही सकते हो परंतु यदि वायु 1 से 5 मिनट नहीं मिली तो मरना तय है। मतलब यह की शरीर के लिए शुद्ध वायु महत्वपूर्ण है।
अब इसे समझें : प्राचीन आयुर्वेद के ऋषि कहते हैं कि वनों से वायु, वायु से आयु प्राप्त होती है। वायु का शुद्ध होना जरूरी है। शरीर की वायु को शुद्ध करने के लिए प्राणायाम करना जरूरी है। प्राणायाम से श्वास प्रश्वास की गति संतुलित होकर उसका नियमितिकरण होता है। श्वास की गति के संतुलित होकर चलते से शरीर के प्रत्येक अंग भी प्रॉपर संचालित होकर भोजन को पचाने का कार्य तेजी से करने लगते हैं। भोजन में से जो रस निकलते हैं उसे शरीर के प्रत्येक अंगों तक श्वास की गति के माध्यम से समय पर पहुंच जाते हैं। ऐसे में फिर आपने भले ही विटामिन सी या डी लिया हो या नहीं लिया हो परंतु शरीर उसकी पूर्ति अन्य विटामिनों या प्रोटिन के संयोग से पूरी कर देता है। आदिवासी क्षेत्र के लोग कौनसा सप्लीमेंट लेते या मल्टीविटामिन टेबलेट्स खाते हैं फिर भी वे आम शहरी की अपेक्षा ज्यादा सेहतमंद हैं, क्योंकि उनकी श्वास प्रश्वास की गति प्राकृतिक रूप से संचालित हो रही है। आप जब एक्सरसाइज करते या पैदल चलते हैं तो उसमें आपकी श्वास प्रश्वास की गति ही रिपेयर्स होती है। अत: इस मैकेनिज्म को समझे की हमारे शरीर को स्वस्थ करने में श्वास प्रश्वास का महत्वपूर्ण योगदान होता है। एक सेहतमंद शरीर का ही इम्यून सिस्टम दुरुस्त होता है। आप नियमित रूप से प्राणायाम करेंगे तो यह तय है कि आपके शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगेंगे और धीरे धीरे शरीर के टॉक्सिन बाहर निकलने लगेंगे।
अब करें भस्त्रिका प्राणायाम : भस्त्रिका का शब्दिक अर्थ है धौंकनी अर्थात एक ऐसा प्राणायाम जिसमें लोहार की धौंकनी की तरह आवाज करते हुए वेगपूर्वक शुद्ध प्राणवायु को अन्दर ले जाते हैं और अशुद्ध वायु को बाहर फेंकते हैं। इसे करने के पहले अनुलोम विलोम में परारंगत हो जाएं और फिर ही इसे करें।
विधि : सिद्धासन या सुखासन में बैठकर कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर और मन को स्थिर रखें। आंखें बंद कर दें। फिर तेज गति से श्वास लें और तेज गति से ही श्वास बाहर निकालें। श्वास लेते समय पेट फूलना चाहिए और श्वास छोड़ते समय पेट पिचकना चाहिए। इससे नाभि स्थल पर दबाव पड़ता है।
इस प्राणायाम को करते समय श्वास की गति पहले धीरे रखें, अर्थात दो सेकंड में एक श्वास भरना और श्वास छोड़ना। फिर मध्यम गति से श्वास भरें और छोड़ें, अर्थात एक सेकंड में एक श्वास भरना और श्वास छोड़ना। फिर श्वास की गति तेज कर दें अर्थात एक सेकंड में दो बार श्वास भरना और श्वास निकालना। श्वास लेते और छोड़ते समय एक जैसी गति बनाकर रखें।
वापस सामान्य अवस्था में आने के लिए श्वास की गति धीरे-धीरे कम करते जाएं और अंत में एक गहरी श्वास लेकर फिर श्वास निकालते हुए पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें। इसके बाद योगाचार्य पाँच बार कपालभाती प्राणायाम करने की सलाह देते हैं।