विधि : सर्व प्रथम रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी सुखासन में बैठ जाएं। फिर जीभ को बाहर निकालकर उसे इस प्रकार मोड़े ही वह एक ट्यूब या नली के आकार जैसी बन जाए। फिर इस नली के माध्यम से ही धीरे-धीरे मुंह से सांस लें। हवा नलीनुमा इस ट्यूब से गुजरकर मुंह, तालु और कंठ को ठंडक प्रदान करेगी।