Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कुंभ में विदेशी श्रद्धालु भी हो रहे हैं शामिल, लगा रहे आस्‍था की डुबकी

हमें फॉलो करें कुंभ में विदेशी श्रद्धालु भी हो रहे हैं शामिल, लगा रहे आस्‍था की डुबकी
, मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019 (17:02 IST)
कुंभ नगर। दुनिया के विशाल धार्मिक आयोजनों में शुमार सनातन धर्मावलम्बियों के ‘कुंभ मेला’ के प्रभाव से पश्चिमी सभ्यता भी अछूती नहीं है।


तीर्थराज प्रयाग में कुंभ के अवसर पर सुदूर क्षेत्रों से विरक्त, गृहस्थ और विदेशी पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर खुद को धन्य मान रहे हैं वहीं विदेशी श्रद्धालु भी इस महापर्व में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। कुल मिलाकर पावन नदियों के संगम तीरे आस्था, भक्ति और आध्यात्म का अद्भुत संसार बसा है जहां दुनिया की अनेक भाषा और संस्कृतियों का भी संगम हो रहा है। वास्तव में कुंभ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को चरितार्थ कर रहा है।

तुलसीदास ने ‘रामचरित मानस’ में लिखा है ‘माघ मकरगत रितु जब होई तीरथपतिहिं आव सब कोई।इसी भावना के अनुरूप करोड़ों श्रद्धालु अमृत स्नान की कामना से तीर्थराज प्रयाग आते हैं। यह पर्व वैश्विक पटल पर शांति, सामंजस्य और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। कुंभ मेले में हॉलैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, कनाडा, जापान समेत तमाम देशों के संत और श्रद्धालु आध्यात्मिक शांति की खोज में डेरा जमाए हुए हैं।

भारतीयता के रंग में सरोबार कनाडा की वेरोनी क्यून ने कहा, मैं भारतीय नाम ‘तपस्विनी’ कहलाना पसंद करूंगी। भारतीय अध्यात्म के बारे में मैंने बहुत पढ़ा है और उसी से प्रेरित होकर मेरी अब यहां बसने की तमन्ना है। दुनिया के कई देशों में घूमी हूं लेकिन भारत के बारे में जो पढ़ा, उससे ज्यादा यहां आकर मिला। इंडिया इज ग्रेट एंड पावरफुल अध्यात्म गुरु ऑफ वर्ल्ड, नो डाउट।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अगले 45 दिनों तक मंगल और मेष की युति से बनेगा अनिष्ट और भय का वातावरण