Mahakumbh 2025: महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस पवित्र अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। क्या आप जानते हैं कि इस प्राचीन मेले का चीन से भी एक गहरा संबंध है? सुनकर चौंक रहे होंगे, लेकिन यह बात बिल्कुल सच है। वेबदुनिया हिंदी पर जानिए महाकुंभ का चीन से क्या कनेक्शन है।
ह्वेनसांग और कुंभ मेला
प्राचीन काल में, प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु और यात्री ह्वेनसांग (ज़ुआनज़ैंग) ने 7वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की थी। उन्होंने यहां कई वर्षों तक रहकर बौद्ध धर्म का अध्ययन किया और विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, ह्वेनसांग ने प्रयाग (वर्तमान प्रयागराज) में आयोजित होने वाले कुंभ मेले का भी दौरा किया था। उनके यात्रा वृत्तांतों में इस विशाल मेले का विस्तृत वर्णन मिलता है, जिसमें लाखों लोगों की भागीदारी, धार्मिक अनुष्ठान और सामाजिक गतिविधियों का उल्लेख है।
ह्वेनसांग के वृत्तांत में कुंभ मेले का वर्णन
ह्वेनसांग ने अपने वृत्तांत में कुंभ मेले के भव्य दृश्यों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे लाखों लोग गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। उन्होंने मेले में लगने वाले बाजारों, साधु-संतों और विभिन्न धार्मिक समूहों के बारे में भी विस्तार से लिखा है। ह्वेनसांग के वृत्तांत से यह स्पष्ट होता है कि कुंभ मेला उस समय भी भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन था और यह दूर-दूर के देशों में भी प्रसिद्ध था।
कुंभ मेले का सांस्कृतिक महत्व
ह्वेनसांग के वृत्तांत से यह भी पता चलता है कि कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मेले में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग एक साथ आते हैं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान करते हैं।
ह्वेनसांग के वृत्तांत से यह स्पष्ट होता है कि कुंभ मेले का चीन से एक गहरा संबंध रहा है। ह्वेनसांग के माध्यम से चीन को भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी मिली। आज भी कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है और यह भारत की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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