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Mahakumbha: बसंत पंचमी 3 फरवरी को प्रयागराज महाकुंभ में होगा इस मुहूर्त में गंगा स्नान

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WD Feature Desk

, शनिवार, 1 फ़रवरी 2025 (13:27 IST)
Basant Panchami Shahi Snan Time: महाकुंभ में इस बार 6 बड़े स्नान हो रहे हैं। 13, 14 और 29 जनवरी के स्नान हो चुके हैं और अब 3 फरवरी बसंत पंचमी, 12 फरवरी माघ पूर्णिमा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि का स्नान बचा है।बसंत पंचमी शाही स्नान (3 फरवरी 2025 सोमवार): बसंत पंचमी का तीसरा शाही स्नान रहेगा। इस दिन यदि आप शाही स्नान करने का सोच रहे हैं और पहले से ही प्रयागराज में हैं तो जानिए क्या रहेगा स्नान का मुहूर्त। यदि आप प्रयागराज से बाहर हैं तो हमारी सलाह है कि प्रयागराज जाने के बजाए आप जहां हैं वहीं पानी में गंगाजल मिलकर स्नान कर लें।ALSO READ: Monalisa: महाकुंभ की वायरल गर्ल मोनालिसा ने क्या सचमुच महाकुंभ में कमा लिए हैं 10 करोड़ रुपए?
 
शाही स्नान का शुभ मुहूर्त:- 
ब्रह्मा मुहूर्त: प्रात: 05:23 से 06:16 तक।
प्रातः सन्ध्या मुहूर्त: सुबह 05:49 से 07:08 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:13 से 12:57 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:24 से 03:08 तक।
 
शाही स्नान का शुभ चौघड़िया:
अमृत: सुबह 07:07 से 08:29 तक
शुभ: सुबह 09:51 से 11:13 तक
चर: दोपहर 01:56 से 03:18 तक।
लाभ: दोपहर 03:18 से 04:40 तक।
अमृत: शाम 04:40 से 06:01 तक।
 
कैसे करें शाही स्नान वाले दिन गंगा में स्नान?
-प्रात:काल प्रथम प्रहर में ही स्नान करना शुभ होता है। इससे प्रजापत्य का फल प्राप्त होता है।
-कुंभ में नदी स्नान में डुबकी लगाने से पूर्व तट से दूर स्नान करके शरीर को पवित्र कर लें। इसे मलापकर्षण स्नान कहा गया है। यह अमंत्रक होता है
-मलापकर्षण करने के बाद नदी को नमन करें और फिर जल में घुटनों तक उतरें।
-इसके बाद शिखा बांधकर दोनों हाथों में पवित्री पहनकर आचमन आदी से शुद्ध होकर दाहिने हाथ में जल लेकर शास्त्रानुसार संकल्प करें।
-स्नान से पूर्व पहले पवित्री अर्थात जनेऊ को स्नान कराएं। इसके बाद शिखा खोल दें।
-इसके बाद इस मंत्र को बोलें- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
-इसके बाद  जल की ऊपरी सतह हटाकर, कान औए नाक बंद कर प्रवाह की और या सूर्य की और मुख करके जल में 5 डुबकी लगाएं। 
-डुबकी लगाने के बाद खड़े होकर जल से तर्पण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
-इसके बाद जल से बाहर निकलकर शुद्ध वस्त्र पहनें और फिर पंचदेवों की पूजा करें।

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