पंजाब में 117 विधानसभा सीटों के लिए मंगलवार को हुए मतदान में कुल 1.76 करोड़ मतदाताओं में से 77 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और सत्तारूढ़ अकाली दल-भाजपा गठबंधन व कांग्रेस दोनों ही अगली सरकार बनाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
हालांकि आजादी के बाद 1951 से लेकर 2007 के मतदान प्रतिशत के चुनाव आयोग के आंकड़े पर नजर डालें तो यह बात सामने आई है कि जब भी 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है तो अकालियों ने सरकार बनाई है। मतदान करने वालों की संख्या 70 प्रतिशत से अधिक तीन बार रह चुकी है।
इससे पहले पंजाब में 1967 में (71.18 प्रतिशत), 1969 में (72.27 प्रतिशत) और 2007 में (75.45 प्रतिशत) मतदान 70 प्रतिशत से अधिक हुआ था, जिसके बाद अकाली दल सत्ता में आया।
छह मौकों पर मतदान प्रतिशत 65 प्रतिशत से अधिक रहा और इनमें चार मौकों पर अकाली ही सरकार में आए। शेष दो मौकों पर कांग्रेस को सत्ता का स्वाद चखने को मिला।
65 प्रतिशत से कम मतदान की स्थिति में 1951, 1957, 1962 और 1980 में कांग्रेस सत्ता में आई।
1992 में अकालियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था और कांग्रेस सत्ता में आई थी। तब सबसे कम मतदान हुआ था और महज 23.82 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया। (भाषा)