BJP's vote percentage increased in Rajasthan : राजस्थान विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का मत प्रतिशत या वोट शेयर पिछली बार के चुनाव की तुलना में 2.41 फीसदी बढ़ा है, जबकि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के मत प्रतिशत में 0.29 फीसदी और 2.26 फीसदी की कमी आई।
राज्य की कुल 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ, जिसके मतों की गिनती रविवार को की गई। इसमें भाजपा को 115 सीटों के साथ बहुमत मिला जबकि कांग्रेस 69 सीटों पर सिमट गई। भाजपा ने चुनाव प्रचार में दलितों पर अत्याचार को लेकर भी गहलोत सरकार पर निशाना साधा था। इस बार में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस व बसपा के पारंपरिक अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय वोट बैंक में सेंध लगाई।
भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल पड़े वोट में 39.28 फीसदी वोट मिले थे जबकि इस बार यह मत प्रतिशत 41.69 फीसदी रहा। भाजपा ने बसपा से वे चार सीटें छीन लीं जो उसने 2018 के विधानसभा चुनाव में जीती थीं। इसके साथ ही बसपा की 2018 में जीतीं दो और सीटें इस बार कांग्रेस के खाते में गईं।
भाजपा ने जो चार सीटें बसपा से छीनी हैं उनमें नदबई से जगत सिंह, नगर से जवाहर सिंह बेढम, करौली से दर्शन सिंह और तिजारा से बाबा बालकनाथ जीते हैं। वहीं कांग्रेस ने उदयपुरवाटी और किशनगढ़ बास से जीत हासिल की जहां भगवान राम सैनी और दीपचंद खैरिया विजयी रहे। 2018 के चुनावों में उक्त सभी छह सीटें बसपा उम्मीदवारों ने जीती थीं।
बसपा के मत प्रतिशत की बात की जाए तो 2018 के चुनाव में यह 4.08 फीसदी था जो 2023 के चुनावों में घटकर 1.82 फीसदी हो गया। पार्टी ने 2008 में भी छह सीटें जीती थीं लेकिन तब इसका मत प्रतिशत तुलनात्मक रूप से काफी अधिक 7.60 प्रतिशत था।
बसपा को अपने समर्थकों के बीच विश्वसनीयता की चुनौती का सामना करना पड़ा। हाल के वर्षों में कई बसपा मतदाताओं का पार्टी से मोहभंग होता नजर आ रहा है। साल 2008 और 2018 में उसकी टिकट पर जीते सभी विधायक बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 34 सीटों में से भाजपा ने 22, कांग्रेस ने 11 और एक निर्दलीय ने जीती। इसी तरह 2023 के चुनावों में 25 अनुसूचित जनजाति की सीटों में से भाजपा ने 12, कांग्रेस ने 10 और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने 3 सीटें जीतीं।
राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत से संकेत मिला था कि पार्टी को दलित समुदाय के एक बड़े वर्ग का समर्थन फिर से मिल गया, जिसे लंबे समय से राज्य में पार्टी के मुख्य वोट बैंक में से एक माना जाता है। 2018 के चुनाव में दलित समुदाय का समर्थन कांग्रेस के लिए बड़ी राहत थी क्योंकि इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनावों में इस समुदाय के मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर भाजपा को वोट दिया था।
2013 के चुनाव में राजस्थान में 34 अनुसूचित जाति-आरक्षित सीटों में से 32 पर भाजपा विजयी हुई थी। उस समय 200 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 163 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस की संख्या घटकर सिर्फ 21 रह गई थी। 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने अनूसचित जाति-आरक्षित 34 सीटों में से 19 सीटें जीती थीं।
भाजपा ने इनमें से 12 सीटें जीतीं और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) को दो सीटें मिलीं, जबकि एक निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के एक बागी ने निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की। भाजपा ने अनुसूचित जनजाति वर्ग की नौ सीटें जीती थीं और कांग्रेस के खाते में ऐसी 12 सीटें गईं। 2018 की तुलना में 2023 के चुनाव में आरएलपी और आम आदमी पार्टी (AAP) का मत प्रतिशत लगभग बरकरार रहा।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल अपनी सीट खींवसर जीत गए। 2023 के चुनावों में केवल एक सीट जीतने के बावजूद पार्टी का वोट शेयर 2.39 प्रतिशत दर्ज किया गया। 2018 के चुनाव में पार्टी ने तीन सीटें जीती थीं और उसका मत प्रतिशत 2.4 प्रतिशत था।
वहीं आम आदमी पार्टी 1018 की तरह 2023 विधानसभा में भी कोई सीट नहीं जीत सकी। हालांकि 2018 और 2023 में इसका वोट शेयर क्रमश: 0.38 प्रतिशत दर्ज किया गया। राजस्थान में कुल 200 सीटें हैं लेकिन करणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour