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घमासान के बीच वसुंधरा की मर्जी चली

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- कपिल भट्
जयपुर। विधानसभा चुनावों को लेकर राजस्थान भाजपा के नेताओं में मचे घमासान के बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे उम्मीदवारों की पहली सूची में अपनी चलाने में कामयाब रही हैं। रविवार की रात को जारी 95 उम्मीदवारों की पहली सूची में कुछ नामों को छोड दें तो ज्यादातर प्रत्याशी वसुंधरा की पंसद के हैं।

सूची में मुख्यमंत्री खेमा साफ हावी नजर आ रहा है। वसुंधरा राजे के खास सिपहसालार सार्वजनिक निर्माण मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ जहां अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर चुヒ से तारानगर जाने में कामयाब रहे हैं वहीं एक सप्ताह पहले ही कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री शैलेंद्र जोशी को बांदीकुई से उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा पूर्व कांग्रेसी सांसद उषा मीणा को महुवा से और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रद्युम्न सिंह के भाई को उनके ही खिलाफ राजाखेड़ा से प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं भ्रष्टाचार के आरोपों से पांच साल तक घिरे रहे मंत्री प्रतापसिंह सिंघवी सहित वसुंधराराजे के ज्यादातर चहेते मंत्री और संसदीय सचिव इस सूची में आ गए हैं। पूर्व मंत्री रोहिताश्व कुमार शर्मा सहित कई ऐसे नाम हैं जिनका भाजपा संगठन विरोध करता रहा है इसके बावजूद उनको राजे की इच्छा से टिकट मिल गया है।

वहीं भरतपुर के सांसद विश्वेंद्र सिंह की नाराजगी के बावजूद उद्योग मंत्री डॉ. दिगंबरसिंह को कुम्हेर-डीग सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। मुख्यमंत्री की मर्जी के खिलाफ भैरोसिंह शेखावत के दामाद और मंत्री नरपतसिंह राजवी अपनी सीट बदलने तथा विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक सांसद कैलाश मेघवाल टिकट लेने में फिलहाल कामयाब नहीं हो सके। उधर, सूची जारी होने के बाद पार्टी के दो खांटी नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा और विश्वेंद्रसिंह टिकटों के वितरण से भड़क गए हैं। मीणा ने जहाँ अपनी नाराजगी के चलते चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है वहीं विश्वेंद्र सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में कूदने का मन बना रहे हैं। डॉ. किरोड़ीलाल मीणा अपने लिए महुवा सीट से टिकट माँग रहे थे वहीं विश्वेंद्रसिंह कुम्हेर डीग सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं।

सूत्र बताते हैं कि इस सूची के लिए दिल्ली में नाम तय करने की कवायद में एक बार तो बात इतनी बढ़ गई थी कि प्रत्याशियों की प्रस्तावित सूची से खफा होकर मुख्यमंत्री जयपुर जाने के लिए हवाई अड्डे रवाना भी हो गईं। यह वाकया हुआ पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के दिल्ली निवास पर।

सूत्र बताते हैं कि सांसद रामदास अग्रवाल के घर राजस्थान भाजपा के नेताओं के बीच करीब तीस घंटे की मशक्कत के बाद जब प्रत्याशियों के नामों पर सहमति नहीं बन सकी तो सभी नेता मार्गदर्शन के लिए शेखावत के घर चले गए। यहाँ जसवंतसिंह और कैलाश मेघवाल आदि नेता भी आ पहुँचे। जसवंतसिंह और कैलाश मेघवाल को वसुंधराराजे नापसंद करती हैं। शेखावत से विचार-विमर्श में सूची के कुछ नामों में परिवर्तन कर दिया गया जो कि मुख्यमंत्री को नागवार गुजरा। लिहाजा शेखावत से विमर्श करके जब सभी नेता बाहर निकले तो वसुंधराराजे तैश में आकर यह सूची फेंककर वहाँ से निकल गईं। इस बीच उन्होंने जयपुर लौटने का कार्यक्रम भी बना लिया। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री की नाराजगी की जानकारी मिलने पर पार्टी अध्यक्ष राजनाथसिंह ने उनको फोन करके केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में आने के लिए राजी किया।

वसुंधराराजे की वजह से केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शाम 7 बजे की जगह एक घंटा देरी से 8 बजे शुरू हुई। राजस्थान की चुनाव समिति में शामिल भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर, संगठन महामंत्री प्रकाशचंद्र, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रामदास अग्रवाल सहित तकरीबन सभी वरिष्ठ नेता टिकटों की इस मशक्कत में वसुंधराराजे के खिलाफ लामबंद हो गए थे। जसवंतसिंह और कैलाश मेघवाल भी पीछे से इनके साथ थे।

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