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वसुंधरा और माथुर दिल्ली तलब

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रायपुर (भाषा) , शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008 (20:05 IST)
विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश प्रमुख ओमप्रकाश माथुर को दिल्ली तलब किया है, ताकि उनके बीच मतभेद दूर किए जा सकें और लोकसभा चुनाव से पहले और नुकसान रोका जा सके।

वसुंधरा और माथुर भाजपा अध्यक्ष राजनाथसिंह पार्टी से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी और वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू से राजधानी में मुलाकात करेंगे, जहाँ उन्हें व्यक्तिगत मुद्दे भुलाने और आगामी लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने के बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेता मार्गदर्शन देंगे।

नायडू ने कहा हमने राजे और माथुर को राजस्थान में हमारी हार की वजह रहे मुद्दों पर चर्चा करने दिल्ली बुलाया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद पर रमनसिंह के शपथ ग्रहण समारोह के लिए नायडू रायपुर में थे।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने नायडू को दोनों नेताओं को एकजुट करने और लोकसभा चुनावों के लिए उनमें आम सहमति विकसित करने के लिए नियुक्त किया है, ताकि हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों के नतीजों जैसी पुनरावृत्ति नहीं हो।

राजस्थान चुनावों में शामिल रहे भाजपा के वरिष्ठ सांसद ने कहा राजे और माथुर के बीच कभी सहमति नहीं बनने वाले मतभेद हैं, जिससे चुनावों के दौरान टिकट वितरण में समस्याएँ पैदा हुईं और पार्टी की हार हुई।

वसुंधरा और माथुर की पार्टी नेतृत्व को इस बारे में अपना वक्तव्य देने की संभावना है कि सत्तारूढ़ राज्य राजस्थान में पार्टी की हार के क्या कारण रहे। पार्टी के पास 200 में से 120 सीटें थीं और उसे 78 विधायकों से ही संतोष करना पड़ा और कांग्रेस ने 96 सीटें जीतीं।

वसुंधरा और माथुर के बीच मतभेद इतने गहरे हैं कि उनके बीच मुलाकात चुनाव से महज 27 दिन पहले उम्मीदवार तय करने के लिए हुई। भाजपा ने जिन विधायकों को टिकट नहीं दिया, उन बागियों ने आठ सीटें जीतीं। करीब एक दर्जन अन्य सीटों पर पार्टी को नुकसान पहुँचाया।

मीणा समुदाय के मजबूत नेता किरोड़ीलाल मीणा उन नेताओं में रहे, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया। मीणा ने बागी नेता के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत गए। उन्होंने अपनी पत्नी और अपने चार अन्य समर्थकों की जीत भी सुनिश्चित की।

भाजपा अध्यक्ष राजनाथसिंह ने भी कहा था कि दिल्ली के नतीजे आश्चर्यजनक रहे, जबकि राजस्थान में चुनाव नतीजे अपेक्षा से कम रहे।

भाजपा के कई नेताओं ने राजस्थान के चुनाव नतीजों को निराशाजनक करार दिया है और कहा है कि पार्टी की हार के लिए बागियों की मौजूदगी मुख्य कारण रही।

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