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एनपीपी ने बिगाड़े भाजपा व कांग्रेस के समीकरण

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अलवर , सोमवार, 25 नवंबर 2013 (18:52 IST)
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अलवर। राजस्थान में अलवर जिले की 17 सीटों में से अधिकांश पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है, पर नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) कई विधानसभा क्षेत्रों में तीसरी शक्ति के रूप में उभर रही है। कांग्रेस के लिए जहां केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह आसरा हैं वहीं भाजपा अपने गत प्रदर्शन को कायम रखने के लिए संघर्ष कर रही है।

अलवर जिले की 11 विधानसभा क्षेत्रों में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चित सीट राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ है, जहां से एनपीपी की प्रदेशाध्यक्ष एवं विधायक गोलमा देवी मैदान में हैं। वे अपने पुराने निर्वाचन क्षेत्र दौसा जिले के महुवा से भी भाग्य आजमा रही हैं। अलवर की 11 विधानसभा सीटों पर 160 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

अलवर शहर विधानसभा से केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है। उन्हीं की वजह से यहां नरेन्द्र शर्मा को टिकट दिया गया, पर उनकी स्थिति कांग्रेस की अंतरकलह के कारण अच्छी दिखाई नहीं दे रही। कांग्रेस से यहां 44 दावेदार थे, जो नरेन्द्र शर्मा से अच्छे साबित हो सकते थे।

भाजपा के बनवारीलाल सिंह और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। यहां एनपीपी और कांग्रेस और भाजपा के दागी दोनों ही पार्टियों को वोट का नुकसान पहुंचाएंगे, पर असर कांग्रेस पर ज्यादा पड़ेगा। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी की सभा के बाद भाजपा में उत्साह है। कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नहीं आने से कांग्रेसी मायूस हैं।

खेड़ली में गत माह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की फ्लॉप सभा के बाद कांग्रेस के अन्य बड़े नेता अलवर की और रुख नहीं कर रहे हैं। गत विधानसभा चुनावों में सोनिया गांधी ने राजस्थान में चुनाव प्रचार का आगाज अलवर के बहरोड से किया था।

अलवर ग्रामीण से एनपीपी की विमला उमर ने कांग्रेस प्रत्याशी मौजूदा विधायक टीकाराम जूली का समीकरण बिगाड़ रखा है। यहां मेव वोट निर्णायक माने जाते हैं। मेव समाज पार्टी नहीं, प्रत्याशी के आधार पर यहां एनपीपी का साथ दे रहा है। इसी कारण भाजपा के जयराम जाटव मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।

एसटी के लिए आरक्षित राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में पहली बार महिलाओं के बीच जंग है। यहां सपा को गत चुनाव में जीत हासिल हुई थी। विधायक सूरजभान धानका इसी राह पर पुन: हैं, पर सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की पत्नी गोलमादेवी के कारण यह सीट मीणाओं के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी है। यूं तो भाजपा और कांग्रेस ने सुनीता मीणा और शीला मीणा को प्रत्याशी बनाया है, पर मतदान से एक-दो दिन पहले का माहौल यहां जीत की राह बताने में सक्षम होगा।

एससी के लिए सुरक्षित कठूमर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। कांग्रेस ने रमेश खींची (भाजपा) ने मंगलाराम कोली एवं एनपीपी ने भाजपा की टिकट से वंचित रहे विधायक बाबूलाल बैरवा को मैदान में उतारा है। यहां जाट और सामान्य वर्ग के वोट निर्णायक रहते हैं। रामगढ़ विधानसभा से पुराने ही मोहरे हैं। भाजपा के विधायक ज्ञानदेव आहूजा एवं कांग्रेस के जुबेर खान के बीच सीधा मुकाबला है।

तिजारा विधानसभा सीट पर चिकित्सा मंत्री एमादुद्दीन अहमद खान की प्रतिष्ठा दांव पर दिखाई देती है। बढ़ते अपराध और संरक्षण के लगने वाले आरोपों के मद्देनजर क्षेत्र की जनता में खान के प्रति काफी गुस्सा है।

भाजपा ने यहां मामन सिंह यादव को टिकट दिया है, जो राजनीति का नया चेहरा हैं। यहां कांग्रेस के खान की सीधी टक्कर भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि गत चुनावों में दूसरे नंबर पर रहे बसपा के फजल हुसैन उन्हें नुकसान पहुंचाएंगे। भाजपा के बागी प्रधानपति कालू महाजन भाजपा के समीकरण को बिगाड़ सकते हैं।

किशनगढ़बास से कांग्रेस ने दीपचंद खैरिया तथा भाजपा ने विधायक रामहेत को टिकट दिया है। इनके बीच भी सीधा मुकाबला माना जा रहा है। बहरोड़ में कांग्रेस को डॉ. कर्णसिंह यादव की उपेक्षा भारी पड़ सकती है। यहां उनकी टिकट काटकर सीताराम यादव को टिकट दिया है। हालांकि कर्णसिंह दबे मन से कांग्रेस का साथ दे रहे हैं। भाजपा ने मौजूदा विधायक डॉ. जसवंत यादव को चुनाव मैदान में उतारा है।

मुण्डावर में भी कांग्रेस और भाजपा ने पुराने मोहरों पर दांव खेला है। कांग्रेस ने विधायक मेजर ओपी यादव को टिकट दिया है। वे अस्वस्थ हैं। उनका प्रचार मां, बेटे कर रहे हैं। वे वोट के लिए जनसंपर्क की स्थिति में नहीं हैं। भाजपा ने यहां धर्मपाल चौधरी को मैदान में उतारा है।

बानूसर में भी मुकाबला सीधा है। कांग्रेस ने पूर्व की तरह शकुंतला रावत (प्रदेशाध्यक्ष) एवं भाजपा ने डॉ. रोहिताश्व शर्मा को टिकट दिया है।

थानागाजी में त्रिकोणात्मक मुकाबला है। कांग्रेस ने ब्राह्मण के लिए परंपरागत सीट पर महिला प्रत्याशी उर्मिला जोगी को चुनाव मैदान पर उतारा है जिससे अन्य वर्ग नाराज हैं। एनपीपी ने पूर्व विधायक कांतिलाल मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है। यहां भाजपा ने विधायक हेमसिंह भडाणा पर दांव खेला है।

बहरहाल, 11 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा से कांग्रेस को अन्य प्रत्याशियों से ज्यादा खतरा है। अलवर में राज्य और केंद्र के बड़े नेताओं का नहीं आना भी चर्चा विषय है। यहां केंद्रीय मंत्री जितेंन्द्र सिंह को कांग्रेस के बागियों को गले लगाने का काम कांग्रेस प्रत्याशियों को भारी पड़ने की आशंका दिखाई दे रही है। (वार्ता)

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