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हनुमानगढ़ जिले की पांचों सीटों पर घमासान

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बीकानेर , सोमवार, 25 नवंबर 2013 (17:40 IST)
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बीकानेर। हनुमानगढ़ जिले में नोहर को छोड़कर सभी सीटों पर बागियों की वजह से मुकाबला बहुकोणीय होने की संभावना है।

हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कृषि विपणन राज्यमंत्री विनोद कुमार लीलावली 2003 और 2008 के चुनावों में विजयी रहे हैं और अब तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। हालांकि पिछले चुनावों में वे मुश्किल से भारतीय जनता पार्टी के डॉ. रामप्रताप से 386 मतों से जीते थे। इस बार भी डॉ. रामप्रताप उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं। विनोद कुमार के लिए कांग्रेस के बागी एक कांग्रेस नेता की पत्नी सुमन और राजेन्द्र मक्कासर परेशानी का सबब बन सकते हैं।

दूसरी ओर डॉ. रामप्रताप को भाजपा ने काफी मशक्कत के बाद टिकट दिया है। इस बार डॉ. रामप्रताप ने कड़ी मेहनत करके अपनी स्थिति मजबूत कर ली है लेकिन उनके लिए भी बागी जसपाल सिंह मुश्किल खड़ी कर रहे हैं फिर भी यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है।

संगरिया विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष बना हुआ है। कांग्रेस ने इस बार पिछली बार की विधायक परम नवदीप का टिकट काटकर शबनम गोदारा को टिकट दिया है। नवदीप ने पिछली बार भाजपा की दमयंती बेनीवाल को आठ हजार से अधिक मतों से हराया था उनका टिकट कटने से कांग्रेस में भीतरघात की आशंका है।

दूसरी ओर भाजपा चेहरा बदलते हुए किशन कड़वा को उम्मीदवार बनाया है। कड़वा के लिए भाजपा के बागी गुरदीप सिंह सिरदर्द बने हैं। वैसे यहां शबनम गोदारा को कमजोर माना जा रहा है। इस सीट पर जमीदारा पार्टी के अध्यक्ष उद्योगपति बजरंगदास अग्रवाल की पत्नी विमला भी पार्टी की ओर मैदान में हैं।

पीलीबंगा (सु) में रोचक स्थिति बन रही है। यहां कांग्रेस ने मौजूदा विधायक आदराम का टिकट काटकर विनोद गोठवाल को उतारा है। उनका मुकाबला वैसे तो भाजपा की द्रौपदी मेंघवाल से है लेकिन इन दोनों को भाजपा के बागी धर्मेन्द्र मोची कड़ी चुनौती दे रहे हैं। इस सीट पर पिछले चुनावों में कांग्रेस के आदराम भाजपा के धर्मेन्द्र मोची को हराकर निर्वाचित हुए थे।

पिछली बार के चुनाव में भाजपा की द्रोपदी मेघवाल पार्टी से बगावत करके निर्दलीय के रूप में लड़ी जिसकी वजह से धर्मेन्द्र को हार का सामना करना पड़ा। अबकी बार भाजपा ने धर्मेंन्द्र को नजरअंदाज करके द्रौपदी को टिकट थमा दिया। इससे नाराज धर्मेन्द्र बगावत करके मैदान में डट गए हैं। पूर्व विधायक धर्मेन्द्र का क्षेत्र में खासा जनाधार माना जाता है। वे यहां भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। अब भी वे खुद को पार्टी का ही उम्मीदवार बताते हैं। उनके मजबूत होने से यहां त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना है।

नोहर में भाजपा ने मौजूदा विधायक अभिषेक मटोरिया में फिर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा है। मटोरिया ने पिछले चुनाव में कांग्रेस की सुचित्रा आर्य को दस हजार से अधिक मतों से हराया था। मटोरिया उच्च शिक्षित और साफ-सुथरी छवि के माने जाते हैं। विधानसभा में उनकी सक्रियता भी संतोषजनक रही है, लिहाजा मतदाताओं में उनका अच्छा प्रभाव है।

दूसरी ओर मटोरिया से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने इस बार प्रत्याशी बदलते हुए यहां पिछली बार बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े राजेन्द्र चाचाण को टिकट दिया है। चाचाण को पिछली बार 43 हजार से अधिक मत मिले थे। चाचाण को क्षेत्र में जनाधार वाला नेता माना जाता है।

वे 1982 से चुनाव 2010 तक नोहर नगर पालिका के पार्षद रहे और 1995 में नगरपालिका अध्यक्ष भी चुने गए। हालांकि गैरकांग्रेसी उम्मीदवार को लेकर पहले कांग्रेसजन में असंतोष था लेकिन अब वे इस सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर एकजुट हो गए है लिहाजा मटोरिया को चाचाण के बीच कड़ी टक्कर की संभावना है।

वैसे इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के शंकरलाल शर्मा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के रिद्धकरण कस्वां और जमींदारा पार्टी के अभय गोदारा भी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन उनका खास प्रभाव नजर नहीं आ रहा है।

इस बार के चुनाव में जिले का भादरा क्षेत्र ऐसा है, जहां बहुकोणीय संघर्ष की स्थिति बन रही है। यहां भाजपा ने संजीव बेनीवाल को मैदान में उतारा है, जो भाजपा का टिकट पाने से दो दिन पहले तक कांग्रेस में थे।

बेनीवाल पिछली बार निर्दलीय जयदीप से 35 हजार से अधिक मतों से परास्त हुए थे, लिहाजा कांग्रेस ने उन्हें नजरअंदाज करके जयदीप को टिकट थमा दिया। इससे रुष्ट बेनीवाल पार्टी से विद्रोह करके भाजपा में शामिल हो गए। यहां तीसरे मुख्य दावेदार माकपा के बलवान पूनिया माने जा रहे हैं। उन्हें हल्का आंकना भारी भूल होगी। बसपा के सुखदेव सिंह शेखावत भी किसी से कम नहीं हैं।

उधर भाजपा और कांग्रेस अपने प्रभावशाली बागियों की समस्या से जूझ रहे हैं। जहां कांग्रेस के लिए उसके बागी नेता नगर पालिकाध्यक्ष हाजी दाऊद खां और संदीप डुकिया मुसीबत बने हुए हैं वहीं भाजपा नेता की पत्नी सरिता चौधरी और पूर्व मंत्री चौधरी ज्ञानसिंह से बगावत करके निर्दलीय के रूप में भाजपा की समस्या बढ़ा रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ये सभी प्रत्याशी क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं लिहाजा इस सीट पर जबरदस्त घमासान की संभावना जताई जा रही है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक हरियाणा से सटे नोहर और भादरा के लोगों की बड़ी संख्या में हरियाणा में रिश्तेदारियां हैं लिहाजा हरियाणा से बड़ी संख्या में प्रत्याशियों के समर्थक यहां चुनाव प्रचार के लिए आते हैं। इससे यहां चुनावों में हरियाणा की छाप नजर आती है। (वार्ता)

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