Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अनमोल उपहार राखी का

हमें फॉलो करें अनमोल उपहार राखी का
प्रियंका पांडेय
WDWD
भैया की नौकरी छूटे दस महीने से अधिक हो गए थे। अब तक की जमा-पूँजी से वह एक नया व्यवसाय शुरू करने की जद्दोजहद में कुछ इस तरह से उलझे हुए थे, कि कई बार तो उन्हें घर आकर भोजन करने की भी कोई सुध-बुध नहीं रहती थी। इधर मैंने भी डॉक्टरी की प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी। मगर पिताजी की सेवानिवृत्ति के बाद जितनी भी पेंशन मिलती थी, उससे केवल घर का ही काम-काज चल पाता था। मैं इस बात को भली-भाँति समझती थी। इसलिए कभी-कभी मुझे समझ में नहीं आता था कि अच्छे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए घर में पैसे कहाँ से आएँगे?
शायद इस बात की मुझसे अधिक चिंता मेरे भाई को थी, इसलिए उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से अपने काम में लीन कर लिया था। अपने व्यवसाय के साथ-साथ उन्होंने एक पार्ट-टाइम नौकरी भी कर ली थी, जिससे वह किसी अच्छे कॉलेज में मुझे प्रवेश दिलवाकर डॉक्टर बनने के मेरे सपने को पूरा कर सकें।

मुझे याद है जब भैया की नई-नई नौकरी लगी थी, तो पहली राखी पर उन्होंने मुझे अपनी पहली तनख्वाह से शिव खेरा की लिखी किताब ‘यू कान विन’ दी थी और मैंने उनसे सोने की चेन के लिए कितनी लड़ाई की थी। असल में मेरी सहेलियों को रक्षाबंधन पर जो उपहार मिलते थे वो कुछ ऐसे ही होते थे। मैं भी चाहती थी कि इस राखी पर भैया से कोई कीमती उपहार लूँ और अपनी सहेलियों को दिखाऊँ। इसलिए भैया की किताब को लेकर मुझमें जरा भी उत्साह नहीं था। घर में सब मेरी इस नादानी को देखकर मुझपर हँस रहे थे। तब भैया ने कहा था कि ‘‘तू मेरे इस उपहार को मतलब एक दिन जरूर समझेगी...’’।

शायद उस दिन भैया ने सच ही कहा था। भैया भी कभी डॉक्टर बनना चाहता था पर परिस्थितियों के विपरीत होने के कारण उसने जल्द ही घर की सारी जिम्मेदारियाँ ओढ़ ली थीं। आज जब मेडिकल कालेज में मेरे प्रवेश को लेकर सब चिंतित थे, तो भैया ने मेरे प्रवेश के लिए पैसों का सारा जिम्मा अपने ऊपर ले लिया था। मुझे क्या पता था कि भैया रात-दिन एक करके मेरी पढ़ाई-लिखाई के लिए पैसे जमा कर रहा था।

भैया ने मेरा दाखिला एक अच्छे मेडिकल कॉलेज में करवा दिया है। घर में सभी खुश हैं। आज जब इस रक्षाबंधन के अवसर पर मैंने भैया को राखी बाँधी, तो उन्होंने मुझसे फिर पूछा की क्या इस बार मुझे राखी पर सोने की चेन चाहिए? उनका वाक्य समाप्त भी नहीं हुआ था कि न जाने क्यों एकाएक मेरी आँखों में अपने आप ही आँसू आ गए। ये आँसू खुशी के थे। मुझे तो मेरे भैया ने राखी का उपहार दे ही दिया था।

आज मुझे सब याद आता है, भैया की दी हुई वह किताब, मेरा सोने की चेन के लिए लड़ना-झगड़ना, मुझे मनाने के लिए भैया द्वारा कहे गए वे शब्द... मेरे अच्छे कॉलेज में प्रवेश के लिए उनकी जी-तोड़ मेहनत...। शायद इस राखी का उपहार तो उनके अपार स्नेह में छिपा हुआ है, जिसका कोई मोल ही नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi