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महेंद्र तिवारी
रेशम-रेशम रिश्तों का मधुबन।
पुलकित चेहरे, प्रफुल्लित मन।।
धागे कच्चे, मगर बनता अटूट बंधन।
हर रेशे में छुपा स्नेह और रक्षा का वचन।।
रीत की थाल में जब सजता प्रीत का चंदन।
देवता भी करने लगते हैं धरती की ओर गमन।।
पवित्रता में यह नीर से भी कंचन।
सौभाग्य से पड़ते हैं जीवन में चरण।।
अनुभूति इसकी सबसे परम।
समझे वही, जो निभाए हरदम।।