भाई-बहन का प्यार- ग्रह बताएँ सविस्तार
जन्मकुंडली व्यक्ति के जीवन का खाका है। द्वितीय भाव परिवार का व तृतीय भाव भाई-बहनों के सुख को बताता है। तीसरा भाव प्रबल होने पर भाई-बहनों का सुख मिलता है। प्राय: कुंडली में मंगल और बुध की स्थिति मजबूत होने पर भाई-बहनों में प्यार बना रहता है। यदि ये ग्रह शत्रु क्षेत्री हैं, कमजोर है तो आपस में झगड़ा, तनाव या दूर रहने से संबंध न रह पाने के योग बनाते हैं।
यदि तीसरे भाव में स्त्री राशि है, तो बहनों की संख्या अधिक होती है, पुरुष राशि हो तो भाई अधिक होता हैं। यदि पुरुष ग्रह स्त्री राशि में हो तो (जैसे गुरु कन्या में हो) भाई के लिए कष्ट होता है और स्त्री ग्रह पुरुष राशि में हो तो बहन से संबंध ठीक नहीं होते। तृतीय में सूर्य, शनि, मंगल हो तो भाइयों का सुख नहीं मिलता, दूरी बनी रहती है। चंद्रमा, बुध, शुक्र तृतीयस्थ हो तो भरपूर स्नेह बना रहता है। तीसरा राहु व केतु भाई-बहनों के लिए अशुभ होता है। बृहस्पति अग्नि राशि में हो तो शुभ माना जाता है। इसी तरह तृतीय भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि शुभ फलकारक व भाई-बहनों से संबंध प्रगाढ़ करने वाली होती है। चंद्रमा व शुक्र की दृष्टि बहनों की उन्नति में विशेष सहायक होती है।