रक्षा बंधन पर आप बचपन से भाई को राखी से पहले तिलक लगाती आई हैं लेकिन क्या आपको पता है कि यह तिलक क्यों लगाया जाता है। क्या है इसका शुभ महत्व.. आइए जानते हैं...
राखी के पावन अवसर पर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है पर रक्षाबंधन के दिन कुमकुम से ही तिलक किया जाता है। कुमकुम के तिलक के साथ चावल का प्रयोग भी किया जाता है।
यह तिलक विजय, पराक्रम, सम्मान, श्रेष्ठता और वर्चस्व का प्रतीक है। तिलक मस्तक के बीच में लगाया जाता है। यह स्थान छठी इंद्री का है।
इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि अगर शुभ भाव से मस्तक के इस स्थान पर तिलक के माध्यम से दबाव बनाया जाए तो स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता, बौद्धिकता, तार्किकता, साहस और बल में वृद्धि होती है।
माथे पर आप दोनों भौहों के बीच जहां आप तिलक लगाते हैं वो अग्नि चक्र कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर में शक्ति का संचार होता है। यहां तिलक करने से ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह हुआ कि बहन की समाज में रक्षा के लिए इन सभी गुणों की जरूरत है अत: बहन के ही शुभ हाथों से कार्य संपन्न होना चाहिए। बहन से अधिक शुभ आपके लिए कौन सोच सकता है और वह भी राखी जैसे पर्व के दिन। अत: राखी के दिन भाई को कुमकुम से बहन के हाथों तिलक का रिवाज है।
क्यों लगाए जाते हैं तिलक पर चावल :- चावल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानी हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है। कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। चावल से हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।