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जानिए इस बार 'पंचक' में क्यों बंधेगी राखी...

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पं. हेमन्त रिछारिया

भाई-बहन के स्नेह का त्योहार रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पर्व के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी ने सर्वप्रथम दैत्यराज बलि को राखी बांधकर अपना भाई बनाया था। व्यावहारिक रूप में देखें तो रक्षाबंधन भाई-बहन के मध्य प्रेम व स्नेह का पर्व है।
 
इस दिन बहनें अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी कलाई पर रक्षासूत्र (राखी) बांधती हैं, वहीं भाई इस दिन अपनी बहन को उसकी सर्वत्र रक्षा करने का वचन देता है। हमारे सनातन धर्म में सामाजिक व पारिवारिक ताने-बाने को सुदृढ़ रखने के लिए ऐसी कई प्रथाएं प्रचलित हैं, जो सामाजिक व पारिवारिक सौहार्द के लिए बड़ी कारगर साबित हुई हैं।
 
प्राचीनकाल से सहोदर (सगे) भाई-बहन के अभाव में मुंहबोले भाई-बहनों का संबंध प्रचलित है। जिनके मध्य किसी प्रकार का रक्त संबंध न होकर केवल 'राखी' का संबंध हुआ करता है। यह पर्व विशुद्ध प्रेम का पर्व है। आज के दौर में जहां नारी को केवल भोग्य वस्तु मानकर उसका यत्र-तत्र-सर्वत्र अनादर किया जाने लगा है वहीं हमारे सनातन में धर्म में रक्षाबंधन पर्व के माध्यम से नारी के सम्मान की रक्षा का निर्देश है।
 
आइए जानते हैं कि इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व कब मनाया जाएगा?
 
इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व प्रतिवर्षानुसार श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि दिनांक रविवार, 26 अगस्त 2018 को मनाया जाएगा। इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन पंचक रहेगा, क्योंकि इस माह पंचक 25 अगस्त से प्रारंभ होकर दिनांक 30 अगस्त तक रहेंगे। रक्षाबंधन के दिन दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक 'धनिष्ठा' नक्षत्र रहेगा तत्पश्चात 'शतभिषा' नक्षत्र प्रारंभ होगा। ये दोनों ही नक्षत्र पंचककारक हैं अत: इस बार राखी पंचककाल में ही बंधेगी।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र

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