राखी यानी रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार साल 2018 में 26 अगस्त को है। राखी का त्योहार का संबंध आमतौर पर भाई-बहनों के स्नेह और प्रेम से माना गया है क्योंकि इस त्योहार में बहनें अपने भाइयों की कलाई में रेशम की डोर जिसे राखी कहते हैं बांधती है और भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती है।
लेकिन पुराणों में रोचक जानकारी मिलती है। पुराणों में वर्णित तथ्य बताते हैं कि राखी ना केवल भाई बहनों के प्रेम और स्नेह का त्योहार है बल्कि यह पति-पत्नी के संबंध और उनके सुहाग से जुड़ा हुआ पर्व भी है। भविष्यपुराण में इस इस संदर्भ में एक हैरान करने वाली कथा का उल्लेख किया गया है। सतयुग में वृत्रासुर नाम का एक असुर हुआ जिसने देवताओं के पराजित करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।
इसे वरदान था कि उस पर उस समय तक बने किसी भी अस्त्र-शस्त्र का प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए इंद्र बार-बार युद्ध में हार जा रहे थे। देवताओं की विजय के लिए महर्षि दधिचि ने अपना शरीर त्याग दिया और उनकी हड्डियों से अस्त्र-शस्त्र बनाए गए। इन्हीं से इंद्र का अस्त्र वज्र भी बनाया गया।
देवराज इंद्र इस अस्त्र को लेकर युद्ध के लिए जाने लगे तो पहले अपने गुरु बृहस्पति के पहुंचे और कहा कि मैं वृत्रासुर से अंतिम बार युद्ध करने जा रहा हूं। इस युद्ध में मैं विजयी होऊंगा या वीरगति को प्राप्त होकर ही लौटूंगा। देवराज इंद्र की पत्नी शची अपने पति की बातों को सुनकर चिंतित हो गई और अपने तपोबल से अभिमंत्रित कर एक रक्षासूत्र देवराज इंद्र की कलाई में बांध दिया।
जिस दिन इंद्राणी शची ने देवराज की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था उस दिन श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि थी। इस सूत्र को बांधकर देवराज इंद्र जब युद्ध के मैदान में उतरे तो उनका साहस और बल अद्भुत दिख रहा था। देवराज इंद्र ने वृत्रासुर का वध कर दिया और फिर से स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। यह कहानी इस बात की ओर संकेत करती है कि पति और सुहाग की रक्षा के लिए श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन पत्नी को भी पति की कलाई में रक्षासूत्र बांधना चाहिए।
भारतीय परंपरा के अनुसार पुरोहित भी रक्षासूत्र बांधते हैं। आशीर्वाद और दीर्घायु के लिए आप पुरोहितों से भी रक्षासूत्र बंधवा सकते हैं।