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चमकते पिटारे में कैैद, भाई-बहन का रि‍श्ता...

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प्रीति सोनी

ईश्वर द्वारा प्रदान किए गए रिश्तों में एक अलग-सा, प्यार भरा अनोखा रिश्ता है भाई-बहन का। कभी खट्टी-मीठी नोंकझोंक..कभी आपसी समझ... कभी प्यार और दुलार, तो कभी लिहाज के इर्द गिर्द घूमता यह सतरंगी रिश्ता, अपने आप में कितनी ही उजली छवियां समेटे हुए है।
 
 
कभी पिता के न होने पर फर्ज निभाता भाई, कभी मां की कमी को पूरा करने की कोशि‍श में मशरूफ बहन.... कैसे तालमेल करते साथ-साथ चलते हैं। कभी बचकानेपन की चंचलता सी फुदकती, शरारती आंखों में, तो कभी बड़प्पन की गंभीरता को जाहिर करते चेहरे पर, कई तरह के भावों की भीड़ में भी निखरा-सा, कोमलता लिए, दि‍खाई दे ही जाता है, दिल में छुपा प्रेम और स्नेह का भाव। यही भाव जीवन भर राखी के पर्व पर उत्साह और उमंग बनकर बरसता है, मन में। 
 
जरा सोच कर देखिए कि भाई-बहन का रिश्ता अपने आप में हर रिश्ते को जीने में सक्षम होता है। एक अच्छा भाई या बहन हो, तो कई बार दोस्तों की कमी भी पूरी हो जाती है। आप उससे दिल की हर बात साझा जो कर सकते हैं, और एक दूसरे के साथ मस्ती, शैतानियां और नोंक झोंक से बेहतर आनंद क्या होगा भला। मां या पिता से अपनी कोई फरमाइश पूरी करवानी हो, या फिर किसी काम के लिए मनाना हो, आपका एक परमानेंट साथी होता है....। इतना ही नहीं, किसी की टांग खींचनी हो, या फिर किसी को पटाना हो, भाई-बहन की जोड़ी हमेशा सुपर-डुपर हिट होती है। 
 
हां, जब झगड़े होते हैं, तो मम्मी-पापा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत भी यही दोनों बनते हैं। वे भी आखिर दोनों में से किसका साथ दें भला..। कुछ वक्त के नखरों के बाद, एक दूसरे के बगैर रह भी तो नहीं पाते ...। लेकिन इन छोटी-छोटी नोंकझोंक, नादानियों और तकरार और प्यार से मिलकर ही तो यह रिश्ता संवरता है...। और सालों बाद भी यादों के पिटारे से निकल आते हैं, कितने ही चमकते, नटखट मोती... जिन्हें उम्र भर यूंही सहेजे रखने को दिल चाहता है। क्योंकि इन्हीं मोतियों की चमक, रौशन करती है.... रक्षाबंधन के इस पावन पर्व को । 

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