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Raksha Bandhan 2022 : इस राखी पर क्या है भद्रा की स्थिति, जानें रक्षाबंधन के श्रेष्ठ मुहूर्त

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पं. हेमन्त रिछारिया

Raksha Bandhan 2022
 
हमारे शास्त्रों में व्रत व त्योहारों का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास में आने वाला रक्षाबंधन का पर्व जिसे श्रावणी भी कहा जाता है हमारी सामाजिक व आध्यात्मिक व्यवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

श्रावणी जहां कर्मकांडी ब्राह्मणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसी दिन वे 'हेमाद्री संकल्प' (जो उन्हें वर्ष भर के ज्ञात-अज्ञात पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला होता है) करके अपने जनेऊ को अभिमंत्रित कर धारण करते हैं, वहीं सामाजिक रीति से भाई-बहनों के आपसी प्रेम का त्योहार होता है, जिसमें बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसकी दीर्घायु व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, तो भाई अपनी बहनों की सदैव रक्षा व संरक्षण का वचन देते हैं। दोनों ही बातों में एक बात बहुत विशेष होती है वह है श्रेष्ठ मुहूर्त का चयन। 
 
श्रावणी कर्म व रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा मनाया जाता है किंतु इस दिन अक्सर भद्रा का दुष्प्रभाव देखने में आता है। भद्रा एक अशुभ समय होता है। भद्रा में किया गया कोई भी कार्य सफल नहीं माना जाता है, लेकिन क्या भद्रा सभी रूपों में अशुभ होती है! इसका उत्तर है- 'नहीं'। केवल मृत्युलोक की भद्रा ही सर्वाधिक अशुभ प्रभाव वाली होती है। वहीं भद्रा का मुख अर्थात् प्रारंभिक समय ही अशुभ होता है, मध्यान्ह काल नहीं। 
 
तो आइए जानते हैं इस वर्ष रक्षांबधन के पर्व पर भद्रा क्या बाधा बनेगी?
 
क्या होता है भद्रा वास : 
 
शास्त्रानुसार भद्रा का वास चंद्र की गोचर स्थिति पर निर्भर करता है। 
 
- जिस दिन चंद्र गोचरवश कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में स्थित होता है उस दिन भद्रा का वास (मृत्युलोक) में माना जाता है। मृत्युलोक की भद्रा सर्वाधिक अशुभ होती है, जिसका सर्वर्था त्याग करना चाहिए।
 
- जिस दिन चंद्र गोचरवश मेष, वृषभ, मिथुन व वृश्चिक राशि में स्थित होता है, उस दिन भद्रा का वास (स्वर्गलोक) में माना जाता है। स्वर्गलोक की भद्रा सामान्य होती है।
 
- जिस दिन चंद्र गोचरवश कन्या, तुला, धनु व मकर राशि में स्थित होता है, उस दिन भद्रा का वास (पाताललोक) में माना जाता है। पाताललोक की भद्रा अशुभ नहीं होती है। 
 
रक्षाबंधन मुहूर्त में भद्रा विचार-
 
इस वर्ष 11 अगस्त 2022 श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबंधन के दिन चंद्र मकर राशि में स्थित हैं, जो रात्रि 9 बजकर 30 मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। अत: रक्षाबंधन के दिन रात्रि 9.30 मिनट से पूर्व भद्रा का वास पाताललोक रहेगा जो अशुभ नहीं है।
 
रक्षाबंधन के श्रेष्ठ मुहूर्त-
 
1. राहु काल: मध्याह्न 2:00 बजे से 4:00 बजे तक (विशेष अशुभ)- त्याज्य।
 
2. अभिजित: अपराह्न 12:00 बजे से 1:00 बजे तक (शुभ)- ग्राह्य।
 
3. श्रेष्ठ: सायंकाल 5:30 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक (शुभ)- ग्राह्य।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: [email protected]
 
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