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वर्षों बाद आया ऐसा शुभ संयोग, इस बार रक्षाबंधन पर नहीं रहेगा भद्रा का साया, पंचक भी नहीं बनेंगे बाधा

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पं. हेमन्त रिछारिया

, गुरुवार, 3 जुलाई 2025 (17:12 IST)
Rakhi 2025 date and time: श्रावण मास के आते ही एक ओर जहां ग्रीष्म ऋतु से उत्तप्त धरा बारिश की बूंदों से भीगकर सौंधी सुगंध बिखेरने लगती है, वहीं दूसरी ओर इस पवित्र-पावन माह में अनेक व्रत-त्योहारों का आगमन मन को प्रफ़ुल्लित व प्रमुदित कर देता है। ऐसा ही प्रेमपगा त्योहार है रक्षाबंधन, जब बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध कर उसकी सुख-समृद्धि की कामना करते हुए अपनी रक्षा का वचन लेती हैं।ALSO READ: श्रावण माह में इस बार कितने सोमवार हैं और किस तारीख को, जानिए
 
रक्षाबंधन का पर्व प्रतिवर्ष श्रावण की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व दिनांक 09 अगस्त 2025 दिन शनिवार पूर्णिमा को मनाया जावेगा। इस बार प्रतिवर्षानुसार रक्षाबंधन पर भद्रा का प्रभाव नहीं रहेगा। शास्त्रानुसार भद्रा में रक्षाबंधन करना वर्जित है। 
 
रक्षाबंधन सदैव भद्रा उपरांत किया जाना चाहिए, लेकिन इस वर्ष भद्रा का उदय 08 अगस्त 2025 मध्याह्न 02 बजकर 13 मिनट से होकर अर्द्धरात्रि 01 बजकर 53 में (अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार 09 अगस्त) अस्त होने के कारण रक्षाबंधन पर्व में कोई व्यवधान नहीं होगा! 
 
क्या है भद्रा? हमारे हिन्दू शास्त्रानुसार पंचांग के पांच अंग होते हैं, ये पांच अंग हैं- 1. तिथि 2. वार 3. नक्षत्र 4. योग 5. करण। इन्हीं पांच अंगों की समेकित गणना को पंचांग गणना कहा जाता है। इसमें विष्टि नामक करण को ही 'भद्रा' कहा जाता है। समस्त करणों में भद्रा का विशेष महत्व होता है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी व पूर्णिमा तिथि को पूर्वार्द्ध एवं चतुर्थी व एकादशी तिथि को उत्तरार्द्ध की भद्रा होती है। वहीं कृष्ण पक्ष की तृतीया व दशमी तिथि को उत्तरार्द्ध एवं सप्तमी व चतुर्दशी तिथि को पूर्वार्द्ध की भद्रा (विष्टि करण) होती है।ALSO READ: श्रावण के साथ ही शुरू होगी कावड़ यात्रा, जानें क्या करें और क्या न करें
 
शास्त्रानुसार भद्रा में रक्षाबंधन का निषेध बताया गया है। कुछ विद्वान मानते हैं कि केवल मृत्युलोक की भद्रा ही त्याज्य होती है इसके विपरीत यदि भद्रा का वास पाताललोक में हो तो वह त्याज्य नहीं होती किन्तु मतांतर से कुछ विद्वान ऐसा नहीं मानते। कुछ शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि भद्रा का वास कहीं भी हो वह सर्वर्था त्याज्य है। शास्त्रानुसार पूर्वार्द्ध की भद्रा दिन में और उत्तरार्द्ध की भद्रा रात्रि में त्याज्य होती है वहीं शास्त्रानुसार भद्रा का मुख भाग ही त्याज्य है जबकि पुच्छ भाग सभी कार्यों में ग्राह्य होता है। 
 
भद्रा के मुख की पांच घटी अर्थात् 02 घंटे ही सर्वथा त्याज्य होते हैं। शनिवार की भद्रा की विशेष अशुभ मानी जाती है।
 
रक्षाबंधन के दिन नहीं रहेगी भद्रा : इस वर्ष भद्रा का उदय 08 अगस्त 2025 मध्याह्न 02 बजकर 13 मिनट से होकर अर्द्धरात्रि 01 बजकर 53 में (अंग्रेजी कैलेंडर के  अनुसार 09 अगस्त) अस्त दिनांक 09 अगस्त 2025 दिन शनिवार को होगा। अत: दिनांक 09 अगस्त 2025 दिन शनिवार को रक्षाबंधन के दिन भद्रा का कोई प्रभाव नहीं होगा।
 
पंचक भी नहीं बनेंगे बाधा : इस वर्ष रक्षाबंधन पर पंचक भी बाधक भी नहीं बनेंगे। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पंचक का प्रारंभ दिनांक 09 अगस्त 2025 की अर्द्धरात्रि (अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार 10 अगस्त) को 02 बजकर 11 मिनट से होगा। अत: इस वर्ष रक्षाबंधन के पुनीत-पावन पर्व पर मुहूर्त में पंचक का भी कोई अवरोध नहीं होगा। वर्षों बाद ऐसा शुभ संयोग आया है जब रक्षाबंधन एवं श्रावणी उपाकर्म के दिन भद्रा एवं पंचक दोनों का ही प्रभाव नहीं होगा।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र

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