Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

रक्षा बंधन की राखी को क्या कहते थे प्राचीन या पौराणिक काल में, जानिए 5 रहस्य

Advertiesment
हमें फॉलो करें Raksha Bandhan 2020

अनिरुद्ध जोशी

भाई बहन के त्योहार रक्षा बंधन पर जो राखी बांधी जाती है उसका नाम रखी कब रखा गया और राखी के पहले प्राचीन या पौराणिक काल में उसे क्या कहते थे। आओ जानते है इस संबंध में 5 खास बातें।
 
 
1. कहते हैं कि राक्ष को पहले 'रक्षा सूत्र' कहते थे। यह रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा वैदिक काल से रही है जबकि व्यक्ति को यज्ञ, युद्ध, आखेट, नए संकल्प और धार्मिक अनुष्ठान के दौरान कलाई पर नाड़ा या सू‍त का धागा जिसे 'कलावा' या 'मौली' कहते हैं- बांधा जाता था।
 
2. यही रक्षा सूत्र आगे चलकर पति-पत्नी, मां-बेटे और फिर भाई-बहन के प्यार का प्रतीक बन गया। रक्षा बंधन के अलावा भी अन्य कई धार्मिक मौकों पर आज भी रक्षा सूत्र (नाड़ा) बांधा जाता है।
 
3. रक्षा सूत्र को बोलचाल की भाषा में राखी कहा जाता है जो वेद के संस्कृत शब्द 'रक्षिका' का अपभ्रंश है। मध्यकाल में इसे राखी कहा जाने लगा।
 
 
4. भाई-बहन के इस पवित्र त्योहार को प्रचीनकाल में अलग रूप में मनाया जाता था। पहले सूत का धागा होता था, फिर नाड़ा बांधने लगे, फिर नाड़े जैसे एक फुंदा बाधने का प्रचलन हुआ और बाद में पक्के धाके पर फोम से सुंदर फुलों को बनाकर चिपकाया जाने लगा जो राखी कहलाने लगी। वर्तमान में तो राखी के कई रूप हो चले हैं। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। 
 
5. यह भी कहा जाता है कि राखी को श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इसलिए राक्ष कहने के पूर्व पहले इसे श्रावणी या सलूनो कहते थे। इसी तरह प्रत्येक प्रांत में इसे अलग अलग नामों से जाना जाने लगा है। जैसे दक्षिण में नारियय पूर्णिमा, बलेव और अवनि अवित्तम, राजस्थान में रामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा बांधने का रिवाज है। रामराखी इसमें लाल डोरे पर एक पीले छींटों वाला फुंदना लगा होता है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Raksha Bandhan 2020 : इस बार राशि अनुसार कैसे मनाएं राखी