रिश्तों की मिठास का पर्व राखी
त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। इन्हीं के माध्यम से रिश्तों की गहराई महसूस की जाती है। रक्षा-बंधन भाई-बहन के स्नेह व ममता की डोर में बंधा ऐसा पर्व है, जिसे परस्पर विश्वास की डोर ने सदियों से बांध रखा है।
भाई-बहन का लगाव व स्नेह ताउम्र बरकरार रहता है, क्योंकि बहन कभी बाल सखा तो कभी मां, तो कभी पथ-प्रदर्शक बन भाई को सिखाती है कि जिंदगी में यूं आगे बढ़ो। इसी तरह भाई कभी पिता तो कभी मित्र बन बहन को आगे बढ़ने का हौसला देता है। आज वक्त के साथ इस रिश्ते ने दिखावे और औपचारिकता का दामन थाम लिया है, जिससे इसका रंग फीका पड़ गया।
ग्लोबलाइजेशन की बयार ने न केवल भाई-बहन के रिश्ते को, बल्कि समाहित अर्थ को भी बदल दिया है। आज वक्त की रफ्तार बढ़ गई है। इससे रास्तों की दूरी को पलभर में तय करना आसान हो गया, मगर दिलों के फासले तय करना बहुत मुश्किल।