महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में उल्लेख मिलता है कि, 'भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वह हर कार्य को बेहतर प्रबंधन से करते थे। तभी उन्होंने त्रेतायुग के सबसे बड़े दानव लंकापति का संहार किया।'
भगवान श्रीराम के स्वभाव के इन 11 गुणों से सीखना चाहिए
भगवान श्रीराम के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। खासतौर पर उनके द्वारा अपनाई गई व्यावहारिक नीतियां, यही कारण था कि कठिन परिस्थितियों में भी वे सफल रहे। भगवान श्रीराम के स्वभाव के इन 11 गुणों से सीखना चाहिए
1. सभी से हंसते-मुस्कुराते मिलना।
2 . लोगों के नामों को याद रखना और उन्हें, उन्हीं नाम से संबोधित करना।
3 . दूसरों की बातों को ध्यान और धीरज से सुनना।
4 . लोगों के प्रति सच्ची निष्ठा रखना।
5 . दूसरे व्यक्तियों को सम्मान देना।
6 . किसी को अपने विचार मनवाने के लिए तर्क और विवाद का सहारा नहीं लेना।
7 . उच्च आदर्श व सिद्धांत का पालन करने में हर कठिनाई को सहन करने के लिए तैयार रहना।
8 . दूसरे के विचारों और भावनाओं के प्रति सच्ची सहानुभूति रखना।
9 . दूसरे की दृष्टि से घटनाओं या वस्तुओं को देखने का प्रयास करना।
10.अपनी त्रुटि(गलती) को शीघ्र स्वीकार कर लेना।
11. दूसरे व्यक्तियों के विचारों के प्रति आदर की भावना होना।