Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

'जय श्रीराम' के उच्चारण से पहले...

हमें फॉलो करें 'जय श्रीराम' के उच्चारण से पहले...
कहा जाता है कि भारत पर्वों का देश है। यहां की दिनचर्या में ही पर्व-त्योहार बसे हुए हैं। भारतीय संस्कृति को दुनिया भर बहुत महत्व दिया जाता है। ऐसा ही एक पर्व चैत्र नवरात्रि के दिनों में मनाया जाता है, वह है.... 'रामनवमी।' 



भगवान विष्णु ने असुरों का संहार करने के लिए राम रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। तभी से लेकर आज तक मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव तो धूमधाम से मनाया जाता है, परंतु उनके आदर्शों को जीवन में नहीं उतारा जाता।
 
अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग कर चौदह वर्षों के लिए वन चले गए। उन्होंने अपने जीवन में धर्म की रक्षा करते हुए अपने हर वचन को पूर्ण किया।


हम सभी रामनवमी और जन्माष्टमी तो उल्लासपूर्वक मनाते हैं पर उनके कर्म व संदेश को नहीं अपनाते। श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता ज्ञान आज सिर्फ एक ग्रंथ बनकर रह गया है।

webdunia


तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में भगवान राम के जीवन का वर्णन करते हुए बताया है कि श्रीराम प्रातः अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करते थे जबकि आज चरण स्पर्श तो दूर बच्चे माता-पिता की बात तक नहीं मानते।
 
परिस्थिति यह है कि महापुरुषों के आदर्श सिर्फ टीवी धारावाहिकों और किताबों तक सिमट कर रह गए हैं। नेताओं ने भी सत्ता हासिल करने के लिए श्रीराम नाम का सहारा लेकर धर्म की आड़ में वोट बटोरे पर राम के गुणों को अपनाया नहीं।
 
यदि राम की सही मायने में आराधना करनी है और राम राज्य स्थापित करना है तो 'जय श्रीराम' के उच्चारण के पहले उनके आदर्शों और विचारों को आत्मसात किया जाना चाहिए। तभी रामनवमी मनाने का संकल्प सही साबित होगा।



webdunia


 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi