Ramadan Eid Ul Fitr 2024: इन दिनों रमजान जारी है और रमजान माह का कारवां ईद उल-फ़ित्र तक आ पहुंचा है। इस्लाम धर्म के अनुसार रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। इस पूरे महीने में रोजे रखे जाते हैं। इस महीने के खत्म होते ही दसवां माह शव्वाल शुरू हो जाता है।
इस माह की पहली चांद रात ईद की चांद रात होती है। चांद के दिखाई देने के पश्चात ईद उल-फ़ित्र का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष यानी साल 2024 में ईद-उल-फितर का पर्व 10 या 11 अप्रैल को मनाया जा सकता है। इसे मीठी ईद और ईद अल फितर के नाम से भी जाना जाता है।
आपको बता दें कि ईद-उल-फितर मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत ही पावन पर्व माना जाता है। इस रात का इंतजार वर्ष भर खास वजह से होता है, क्योंकि इस रात को दिखने वाले चांद से ही इस्लाम समुदाय के सबसे बड़े त्योहार ईद उल-फ़ित्र का ऐलान होता है। इस तरह से यह चांद ईद का पैगाम लेकर आता है। इस चांद रात को अल्फा कहा जाता है।
रमजान माह की इबादतों और रोजे के बाद जलवा अफरोज हुआ ईद उल-फ़ित्र/ ईद-उल फितर का त्योहार खुदा का इनाम है, मुसर्रतों का आगाज है, खुशखबरी की महक है, खुशियों का गुलदस्ता है, मुस्कुराहटों का मौसम है, रौनक का जश्न है।
इसलिए ईद का चांद नजर आते ही माहौल में एक गजब का उल्लास छा जाता है। ईद के दिन सिवइयों या शीर-खुरमे से मुंह मीठा करने के बाद छोटे-बड़े, अपने-पराए, दोस्त-दुश्मन गले मिलते हैं तो चारों तरफ मोहब्बत ही मोहब्बत नजर आती है।
एक पवित्र खुशी से दमकते सभी चेहरे इंसानियत का पैगाम माहौल में फैला देते हैं। अल्लाह से दुआएं मांगते व रमजान के रोजे और इबादत की हिम्मत के लिए खुदा का शुक्र अदा करते हाथ हर तरफ दिखाई पड़ते हैं और यह उत्साह बयान करता है कि लो ईद आ गई।
रमजान माह के रोजे को एक फर्ज करार दिया गया है, ताकि इंसानों को भूख-प्यास का महत्व पता चले। भौतिक वासनाएं और लालच इंसान के वजूद से जुदा हो जाए और इंसान कुरआन के अनुसार अपने को ढाल लें।
इसलिए रमजान का महीना इंसान को अशरफ और आला बनाने का मौसम है। पर अगर कोई सिर्फ अल्लाह की ही इबादत करे और उसके बंदों से मोहब्बत करने व उनकी मदद करने से हाथ खींचे तो ऐसी इबादत को इस्लाम ने खारिज किया है। क्योंकि असल में इस्लाम का पैगाम है- अगर अल्लाह की सच्ची इबादत करनी है तो उसके सभी बंदों से प्यार करो और हमेशा सबके मददगार बनो। यह इबादत ही सही इबादत है। यही नहीं, ईद की असल खुशी भी इसी में है।
कुरआन के अनुसार पैगंबरे इस्लाम ने कहा है कि जब अहले ईमान रमजान के पवित्र महीने के एहतेरामों से फारिग हो जाते हैं और रोजों-नमाजों तथा उसके तमाम कामों को पूरा कर लेते हैं, तो अल्लाह एक दिन अपने उक्त इबादत करने वाले बंदों को बख्शीश व इनाम से नवाजता है। इसलिए इस दिन को ईद कहते हैं और इसी बख्शीश व इनाम के दिन को ईद-उल-फितर/ ईद-उल-फित्र का नाम देते हैं।