Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

रमज़ान मुबारक: Fifth Roza, दुआ का दरख़्त है पांचवां रोजा

हमें फॉलो करें रमज़ान मुबारक: Fifth Roza, दुआ का दरख़्त है पांचवां रोजा
अभी रमज़ान का मुबारक माह चल रहा है और पांचवां रोजा आ गया है। दुनिया के हर मज़हब में अपने-अपने मज़हबी तरीक़े से लोग उपवास (रोजा) रखते हैं। हर शख़्स अपने-अपने मज़हब की मान्यताओं के तहत उपवास के क़ायदे-क़ानून का पालन करता है। 

सब मज़हबों ने उपवास (रोजा) का तशबीहात (उपमाओं) से ज़िक्र किया है। मिसाल के तौर पर जैन धर्म में पर्युषण पर्व के उपवास आत्मशुद्धि और कषाय-मुक्ति का पर्व है। सनातन धर्म के मानने वालों में नवरात्रि के उपवास मातृशक्ति और भक्ति के प्रतीक हैं। यानी हर धर्म में उपवास को विशिष्ट दृष्टि से देखा गया है। 
 
इस नज़रिए यानी जो जिस धर्म का मानने वाला है, उसको अपने धर्म के मुताबिक़ चलने और पालन करने में इस्लाम को कोई गुऱेज नहीं है। 
 
हक़ीक़त तो यह है कि पवित्र क़ुरआन के तीसवें पारा (अध्याय-30) की सूरे-काफ़ेरून की आख़िरी आयत में ज़िक्र है- 'लकुम दीनोकुम वले यदीन' यानी 'तुम तुम्हारे दीन पर रहो मैं मेरे दीन पर रहूं।'

चूंकि इस्लाम मज़हब एकेश्वरवाद (ला इलाहा इल्लल्लाह) को मानता है और हज़रत मोहम्मद (सअवस) को अल्लाह का रसूल (मोहम्दुर्र रसूलल्लाह) स्वीकारता है, इसलिए रोजा मुसलमान पर फ़र्ज़ की शक्ल में तो है ही, अल्लाह की इबादत का एक तरीक़ा भी है और सलीक़ा भी।
 
तक़्वा (पुण्य कर्म और साधनों की शुद्धता) तरीक़ा है रोजा रखने का। सदाक़त (सत्य-निष्ठा), सलीक़ा है रोज़े की पाकीज़गी का। सब्र, सड़क है रोजदार की। कात (दान), पुल है रोजदार का। ऐसा पाकीज़ा रोजा रोजदार के लिए दुआ का दरख़्त है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मंगल को कैसे करें प्रसन्न, 10 उपाय, 7 मंत्र और मंगल स्तुति