Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

घर पर कैसे करें प्रभु श्री राम की पूजा?

हमें फॉलो करें घर पर कैसे करें प्रभु श्री राम की पूजा?

WD Feature Desk

, शनिवार, 20 जनवरी 2024 (11:14 IST)
Ram ji ki puja kaise kare: 22 जनवरी 2024 सोमवार के दिन अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में रामलाला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। हर घर पर पताका फहराई जाएगी और रामजी की पूजा आरती होगी। सुबह प्रभात फेरी और दोपहर में पूजा, भजन-कीर्तन के बाद रात को घर-घर दिवाली मनाई जा रही है। यदि आप नहीं जानते हैं कि कैसे घर पर करें राम जी की पूजा तो जानिए सरल विधि।
 
रामजी की पूजा विधि:-
1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो रामजी का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।
 
2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद श्रीराम जी की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करके जल का छिड़काव करें।
 
3. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
 
4. फिर रामजी के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
 
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
 
6. अंत में उनकी आरती करके प्रसाद चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है। प्रसाद में पंजरी का प्रसाद और पंचामृत जरूर रखें।
webdunia
Lord Ram Mantra
घर में पूजा करने के नियम : 
1. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। 
 
2. पूजा का उचित मुहूर्त देखकर ही पूजा करें।
 
3. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। 
 
4. पूजा के समय सभी एकत्रित होकर पूजा करें। पूजा के दौरान किसी भी प्रकार शोर न करें।
 
घर में पूजा हेतु क्या क्या होना चाहिए :
गृहे लिंगद्वयं नाच्यं गणेशत्रितयं तथा।
शंखद्वयं तथा सूर्यो नार्च्यो शक्तित्रयं तथा॥
द्वे चक्रे द्वारकायास्तु शालग्राम शिलाद्वयम्‌।
तेषां तु पुजनेनैव उद्वेगं प्राप्नुयाद् गृही॥
अर्थ- घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम की पूजा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशांति होती है।
 
एका मूर्तिर्न सम्पूज्या गृहिणा स्केटमिच्छता।
अनेक मुर्ति संपन्नाः सर्वान्‌ कामानवाप्नुयात॥
अर्थ : कल्याण चाहने वाले गृहस्थ एक मूर्ति की पूजा न करें, किंतु अनेक देवमूर्ति की पूजा करे, इससे कामना पूरी होती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे- कब और किसने दिया था ये नारा