वाल्मीकि कृत रामायण में भगवान राम के जीवन की गाथा है। इसमें राम और रावण का जब युद्ध चल रहा था तब मेघनाद के प्रहार से लक्ष्मण मूर्च्छित हो जाते हैं। ऐसे में सुषेण वैद्य को बुलाया जाता है। आओ जानते हैं कि यह सुषेण वैद्य कौन थे।
लक्ष्मण मूर्च्छा : राम-रावण युद्ध के समय मेघनाद के तीर से लक्ष्मण मूर्च्छित होकर गिर पड़े। लक्ष्मण की गहन मूर्च्छा को देखकर सब चिंतित एवं निराश होने लगे। विभीषण ने सबको सांत्वना दी। फिर सुग्रीव ने सुषेण वैद्य को बुलाया। सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। सभी ने संजीवनी बूटी की खोज में हनुमानजी को भेजा और हनुमानजी संजीवनी का पहाड़ ही उठा लाए।
पुन: युद्ध करते समय रावण ने लक्ष्मण पर शक्ति का प्रहार किया। लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए। लक्ष्मण की ऐसी दशा देखकर राम विलाप करने लगे। सुषेण ने कहा- 'लक्ष्मण के मुंह पर मृत्यु-चिह्न नहीं है अत: आप निश्चिंत रहिए।'
कौन था सुषेण वैद्य : सुषेण वैद्य सुग्रीव के ससुर थे। पहले ये लंका के राजा राक्षसराज रावण का राजवैद्य थे। बालि की पत्नी अप्सरा तारा सुषेण की धर्म पुत्री थीं। बालि वध के बाद तारा का विवाह सुग्रीव से कर दिया गया था। वैसे बालि की पत्नी रूमा थीं। अंगद बालि का पुत्र था।