राजधानी भोपाल में सोमवार को एक भव्य एवं गरिमामय समारोह में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने योग गुरु बाबा रामदेव की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी की अंग्रेजी पुस्तक 'माय कंट्री माय लाइफ' के हिन्दी संस्करण 'मेरा जीवन मेरा देश' का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर आडवाणी ने कहा कि जो भी इस पुस्तक को पढ़ेगा वह जानेगा कि जो कुछ भी उनका जीवन है वह प्रमुखत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण ही है।
आडवाणी ने कहा कि उनके वैचारिक परिवार और निजी परिवार द्वारा दिए गए संस्कार और चिंतन शैली के कारण ही उन्होंने प्रामाणिकता से लिखने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि जो छोटी-मोटी गलतियाँ अंग्रेजी संस्करण में रह गई थीं, उन्हें इस पुस्तक में दूर किया गया है।
आडवाणी ने कहा कि माय कंट्री माय लाइफ उनकी कल्पना नहीं, बल्कि उनकी बेटी प्रतिभा आडवाणी की कल्पना है।
उन्होंने विभिन्न वक्ताओं द्वारा मंच से उनकी प्रशंसा को लेकर कहे जाने पर कहा कि यदि किसी के सामने इस प्रकार प्रशंसा की जाए तो उसके बिगड़ने की संभावना रहती है।
इस अवसर पर रविशंकर ने आडवाणी की प्रशंसा करते हुए कहा कि जो व्यक्ति समाजसेवा में होगा वही आत्मकथा लिख सकता है। लोभी व्यक्ति आत्मकथा नहीं लिख सकता। उन्होंने कहा कि अनुभव को बाँटना ही समाजसेवा है।
रविशंकर ने जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ श्राइन बोर्ड मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यात्रा का समय निर्धारित करने का अधिकार केवल धर्मगुरुओं को है, अन्य कोई यात्रा का समय निर्धारित नहीं कर सकता है।
बाबा रामदेव ने भी अमरनाथ श्राइन बोर्ड मामले को लेकर मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी को देशद्रोही पार्टी की संज्ञा देते हुए कहा कि इस तरह की देशद्रोही पार्टी यदि उन्हें आमंत्रित करे तो भी वे कभी नहीं जाएँगे। उन्होंने कहा कि चीन जैसे देश में भी मंदिर के लिए जगह दी गई है जबकि अपने ही देश में आश्रम की जगह के लिए हो रहा विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है।
बाबा रामदेव ने कहा कि आडवाणी 80 वर्ष की उम्र पार कर गए हैं, लेकिन उनमें अभी भी 18 वर्ष के नौजवान का जोश बाकी है। उन्होंने कहा कि आदमी शरीर से बूढ़ा नहीं होता है, बल्कि वैचारिक दृष्टि से आदमी बूढ़ा होता है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पुस्तक को समसामयिक इतिहास का प्रामाणिक दस्तावेज बताते हुए कहा कि यह स्मृति ग्रंथ नहीं प्रकाश स्तम्भ है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता सुरेश सोनी ने कहा कि इस पुस्तक का नाम मेरा देश मेरा जीवन के बीच बिटवीन द लाइन में ही जोड़कर मेरा देश ही मेरा जीवन होना चाहिए। कार्यक्रम को राज्यसभा सदस्य सुषमा स्वराज ने भी संबोधित किया।