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कश्‍मीरी पंडितों के लिए अलग बस्तियां नहीं!

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श्रीनगर , गुरुवार, 3 जुलाई 2014 (18:39 IST)
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में प्रमुख धार्मिक संगठनों के एक समूह ने कहा है कि वर्ष 1990 में घाटी से पलायन कर जाने वाले कश्मीरी पंडितों को लौटने का अधिकार है और उनका स्वागत है, लेकिन साथ ही केंद्र को इस समुदाय के लिए अलग बस्तियां स्थापित करने के खिलाफ चेतावनी भी दी है।

जम्मू-कश्मीर के मजलिस इत्तेहाद-ए-मिल्लत के अध्यक्ष मुफ्ती बशीर-उद-इन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पंडित कश्मीरी समाज का एक अहम हिस्सा हैं।

एक कुटिल षड्यंत्र के तहत वर्ष 1990 में घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किए गए पंडितों को अपने मुस्लिम हमवतनों के साथ अपने पूर्वजों के स्थानों पर या किसी भी अन्य इलाके में बसने का अधिकार है और उनका यहां आम नागरिकों की ही तरह स्वागत किया जाएगा।

मजलिस लगभग एक दर्जन धार्मिक संगठनों का संयुक्त प्रतिनिधि मंच है। इन संगठनों में जमात-ए-इस्लामी, जमीयत-ए-एहली हदीस और अंजुमन-ए-शारी शिया शामिल हैं।

मुफ्ती जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम भी हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पंडित समुदाय को अलग बस्तियों में बसाने की योजना के खतरनाक परिणाम होंगे।

उन्होंने कहा कि अधिकांश पंडितों समेत कश्मीर के लोगों को इस योजना पर गंभीर शंकाएं हैं और ये लोग कभी इसे स्वीकार नहीं करेंगे। (भाषा)

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