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गाँव जाने को मचलता है दिल-वाजपेयी

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नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 14 सितम्बर 2008 (20:36 IST)
शहर की चकाचौंध से दूर हसीन वादियों के दामन में हिन्दी सिनेमा के प्रयोगधर्मी अभिनेता मनोज वाजपेयी को गाँव की याद सताने लगती है और ऐसे मौके पर उनका मन कभी मुंबई में रहने की जिद करता है तो कभी गाँव जाने को मचलने लगता है।

राजीव वीरानी फिल्म की पटकथा पर चर्चा के लिए लोनावाला पहुँचने के बाद मनोज ने अपनी संवेदनाओं को उकेरते हुए ब्लॉग में लिखा है कि बाहर बारिश हो रही है और मुझे यहाँ अनजाना सा लगने लगता है। मुझे अचानक अपने गाँव की याद आ जाती है और मेरे दो टुकड़े हो जाते हैं।

एक टुकड़ा कहता है मुंबई में रहो तो दूसरा टुकड़ा कहता है कि गाँव चलो। मुंबई से करीब दो सौ किमी दूर लोनावाला में लगभग 4 हजार फुट की ऊँचाई पर शांत हरी-भरी वादियों और पहाड़ियों से प्रभावित होकर मनोज ने लिखा मेरे अंदर एक द्वंद्व सा छिड़ जाता है। अंतर्मन का एक हिस्सा अभिनय त्यागने को मजबूर करता है, जिसके लिए पूरा जीवन लगा दिया और मुंबई छोड़ने की बात करता है। रामायण पर बनी एनीमेशन फिल्म में मनोज ने राम और आशुतोष राणा ने रावण के चरित्रों को अपनी आवाज दी है।

मनोज बाजपेयी का जन्म बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के एक छोटे से गाँव बेलवा में हुआ था। उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से अभिनय की शिक्षा हासिल करने के बाद फिल्म जगत में कदम रखा।

उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा है सच में अपनी जगह की बात ही अलग है। सही कहा गया है कि तुम व्यक्ति को गाँव से निकाल सकते हो, पर गाँव को व्यक्ति के अंदर से नहीं।

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