Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

'चमलियाल मेले' में शिरकत करेंगे पाक रेंजर

-सुरेश एस डुग्गर

Advertiesment
हमें फॉलो करें चमलियाल मेला
भारत-पाक संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद पाकिस्तानी रेंजरों ने इस बार भी सीमा पर लगने वाले उस चमलियाल मेले में शिरकत को मंजूरी दे दी है जो 27 जून को लगने जा रहा है। लेकिन इस मेले में पाक रेंजरों की शिरकत की क्या कोई शर्त है या नहीं, इस पर अभी रहस्य बना हुआ है।

FILE


ऐसा रहस्य इसलिए बना हुआ है क्योंकि हर बार वे साफतौर पर कह जाते हैं कि अगर बीएसएफ ने ‘हम हैं सीमा सुरक्षाबल’ गीत को बजाया तो वे मेले में शिरकत नहीं करेंगे। यही कारण है कि पाक रेंजरों की शिरकत को यकीनी बनाने की खातिर पिछले कई सालों से बीएसएफ इस गीत को नहीं बजा रही है।

यह सच है कि चार साल पहले अमन की चादर पर ऐतराज का दाग लगाते हुए बीएसएफ को पाक रेंजरों के आगे ‘झुकते’ हुए अपने वीररस से भरे हुए उस गीत को गाने पर ‘पाबंदी’ लगानी पड़ी थी जो उसके जवानों में नई जान और स्फूर्ति भरता आया है। पाक रेंजरों द्वारा चमलियाल मेले में शिरकत करने की चार सालों से यही शर्त रखी जा रही थी कि उनके आगमन पर ‘हम हैं सीमा सुरक्षाबल’ गाना नहीं बजाया जाएगा।

और हुआ भी वही था। इसके लिए बकायदा सीमा सुरक्षाबल के जम्मू फ्रंटियर के तत्कालीन डीआईजी द्वारा निर्देश भी दिए गए थे। इसकी पुष्टि तत्कालीन बैंड मास्टर कमांडर सब इंस्पेक्टर एचएल राय ने की थी जो कुछ साल पहले पाक रेंजरों की चिनाब बटालियन के कमांडर द्वारा इस गीत पर खुश होकर दिए गए रुपयों के इनाम को याद करते हुए कहते थे, डीआईजी साहब का निर्देश था कि ‘हम हैं सीमा सुरक्षाबल’ नहीं बजेगा।

असल में पाक रेंजरों को इस गाने पर हमेशा ऐतराज इसलिए रहता है क्योंकि यह सीमा सुरक्षाबल के शक्ति प्रदर्शन की बात करता है और पाक रेंजर चमलियाल मेले के लिए बुलाई जाने वाली फ्लैग मीटिंग में इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहते रहे हैं कि आप हमें अपने घर में बुलाकर अपनी ताकत की पहचान कराते हो।

नतीजा सामने था। हालांकि पाक रेंजर इसे अपनी जीत कहते हुए बीएसएफ का झुकना मान रहे थे लेकिन बीएसएफ के अधिकारी कहते थे कि वे मेहमानों का मान रखते हुए खुले दिल का परिचय देते हुए इस गीत को नहीं बजा रहे। असल में गीत पर ऐतराज इसलिए था क्योंकि इसकी कई लाइनें बीएसएफ की शक्ति को प्रदर्शित करते हुए दुश्मन को चेतावनी देती थीं।

कुछ भी कहा जाए पाक रेंजरों के बीएसएफ के प्रेरणा गीत पर ऐतराज बीएसएफ के अधिकारियों को पचा नहीं था। वे कहते थे, हर बार पाक रेंजरों की ख्वाहिश पर इसे गाया जाता था। इतना जरूर है कि कुछ साल पहले इसके बोल भी बोले गए थे और उससे पहले इसे सिर्फ धुन पर गाया जाता था। कहा यह जा रहा है कि अब पाक रेंजरों को इस गीत के बोल समझ आ गए हैं जिस कारण वे इस पर ऐतराज प्रकट कर रहे थे और बीएसएफ ने उनके ऐतराज को स्वीकार भी कर लिया।

और इस बार फिर से यह सवाल उठ रहा है कि क्या चमलियाल मेले में पाकिस्तानी रेंजरों की खुशी की खातिर ‘हम हैं सीमा सुरक्षाबल’ के वीररस से भरे हुए गीत की बलि दी जाएगी। सीमा सुरक्षाबल का कोई भी अधिकारी इस पर बात करने को तैयार नहीं था। जानकारी के लिए जिस बाबा दिलीप सिंह मन्हास की याद में यह मेला मनाया जाता है वह देश के बंटवारे के पूर्व ही से चला आ रहा है।

देश के बंटवारे के उपरांत पाक जनता उस दरगाह को मानती रही जो भारत के हिस्से में आ गई। यह दरगाह, जम्मू सीमा पर रामगढ़ सेक्टर में चमलियाल सीमा चौकी पर स्थित है। इस दरगाह की मात्र एक झलक पाने तथा सीमा के इस ओर से पाकिस्तान भेजे जाने वाले ‘शक्कर’ व ‘शर्बत’ की दो लाख लोगों को प्रतीक्षा होती है।

कहा जाता है कि इस मिट्टी-पानी के लेप को शरीर पर मलने से चर्मरोगों से मुक्ति पाई जा सकती है और पिछले 67 सालों यानी विभाजन के बाद से ही इस क्षेत्र की मिट्टी तथा पानी को ट्रालियों और टेंकरों में भरकर पाक श्रद्धालुओं को भिजवाने का कार्य पाक रेंजर, बीएसएफ के अधिकारियों के साथ मिलकर करते रहे हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi