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जिंदगी बचाने के लिए ट्रैफिक रोका!

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चेन्नई , मंगलवार, 17 जून 2014 (13:03 IST)
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चेन्नई। आमतौर पर ट्रैफिक जाम में उलझकर कई जिंदगियां असमय काल के गाल में समा जाती हैं, लेकिन चेन्नई में एक अनूठी मिसाल सामने आई, जब एक मरीज की जान बचाने के लिए ट्रैफिक रोक दिया गया।

यह वाकया सोमवार का है, जब चेन्नई में दो अस्पतालों के डॉक्टरों और ट्रैफिक पुलिस के आपसी समन्वय के कारण हृदय रोगी को नया जीवन मिल गया। इस पूरे मामले में सुखद यह है कि यह मरीज कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति नहीं, बल्कि आम इन्सान है।

दरअसल, सड़क दुर्घटना में घायल एक मरीज के हृदय ने काम करना बंद कर दिया। फोर्टिस मलार हॉस्पिटल में लाए गए इस मरीज की जिंदगी हार्ट ट्रांसप्लांट के जरिए ही बचाई जा सकती थी। मरीज को चार डिग्री तापमान पर रख तुरंत 12 किमी दूर सरकारी अस्पताल में सूचना दी गई और हार्ट बुलवाया गया।

शाम का वक्त होने से शहर में ट्रैफिक का दबाव भी ज्यादा था। फोर्टिस के चीफ एनेस्थेसिस्ट डॉ. सुरेश राव ने ट्रैफिक पुलिस से संपर्क कर आग्रह किया कि हार्ट लेकर आ रही एंबुलेंस को बिना रोके आने दिया जाए।

ट्रैफिक पुलिस ने भी मामले की गंभीरता को समझा और पूरे रास्ते ट्रैफिक रोककर उसे ग्रीन कॉरिडोर बना दिया। एंबुलेंस सीधे फोर्टिस पहुंची, ट्रांसप्लांट शुरू हुआ और चंद घंटों बाद ही हार्ट मरीज के सीने में धड़क रहा था।

एक सामान्य मरीज की जिंदगी बचाने के लिए इस मुहिम को बहुत ही सावधानी और तत्परता से अंजाम दिया गया। एंबुलेंस का रुट तय करने के बाद 12 प्रमुख स्थानों पर जवान तैनात किए गए। पौने सात बजे एंबुलेंस हार्ट लेकर सरकारी अस्पताल से रवाना हुई।

यातायात संबंधी बाधा नहीं होने के कारण इस एंबुलेंस ने 45 मिनट का सफर महज 14 मिनट में ही तय कर लिया। करीब आठ बजे यह एंबुलेंस फोर्टिस पहुंची और सवा दस बजे तक मरीज को हार्ट ट्रांसप्लांट हो गया।

सबक : निश्चित ही चेन्नई के चिकित्सकों और पुलिस ने एक अभूतपूर्व मिसाल कायम की है। इससे जुलूस निकालने वाले, धरना-प्रदर्शन करने वाले लोगों को भी सबक लेना चाहिए। साथ ही जिम्मेदार लोगों को भी इससे सीख लेनी चाहिए कि यदि ठान लिया जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। जब यह चेन्नई में हो सकता है तो देश के अन्य शहरों में क्यों नहीं। चेन्नई के चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों और वहां के लोगों के जज्बे को सलाम!

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