Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

प्राची की जीत तो तय थी!

हमें फॉलो करें प्राची की जीत तो तय थी!
मुंबई , गुरुवार, 20 दिसंबर 2007 (09:57 IST)
आम जनता की भावनाओं से खेलना तो कोई इन रियलिटी शोज वालों से सीखे! इन्हें भावनाओं से खेलने के ढेर सारे पैसे खुद दर्शक अपने हाथों से दे आते हैं और जब इन शोज का अंत देखते हैं तब यह जरूर नजर आता है कि दाल में जरूर कुछ काला है।

दाल के कालेपन को ये चैनल वाले चाँदी की तश्तरी में इस प्रकार परोसते हैं कि बेचारा दर्शक चाँदी की चमक में ही खो जाता है और दाल की तरफ नजर ही नहीं जाती। ऊपर से यह बात भी कि आम दर्शक ने ही वोटिंग के माध्यम से यह सब कुछ किया है।

बेचारा आम दर्शक मन ही मन अपने चाहने वाले प्रतिभागी के प्रति सहानुभूति रख विजेता को नंबर वन देने की अनमने ही 'हाँ' कह देता है, आखिर गलती उसकी जो होती है।

हाल ही में सोनी टीवी के 'झलक दिखला जा' का फाइनल संपन्न हुआ, जिसमें प्राची देसाई (उर्फ बानी) को विजेता घोषित किया गया, जबकि आम धारणा थी कि संध्या मृदुल विजेता बनेगी।

ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि एकता कपूर नहीं चाहती थी। यहाँ आम जनता को आश्चर्य होगा कि आखिर एकता कपूर को इस रियलिटी शो से क्या लेना-देना? दरअसल चैनलों की आपस की लड़ाई में सब कुछ जायज है, वाली स्थिति है। सोनी टीवी और स्टार टीवी के बीच प्रतिस्पर्धा चलती आ रही है। स्टार के 'नच बलिए' की स्पर्धा में सोनी ने 'झलक दिखला जा' उतारा था।

इस बार स्टार टीवी द्वारा कलाकारों एवं जजेस का चयन पहले ही कर लिया था। इस बात का फायदा उठाते हुए सोनी टीवी ने भी अपने यहाँ कलाकारों को लेने की सोची, परंतु सोनी टीवी ने इस रियलिटी शो के माध्यम से अपने अन्य कार्यक्रमों को भी अच्छा बनाने की कवायद कर डाली।

सोनी एकता के चरणों में लोट लगाने लगा। एकता भी जानती थी कि वे जैसा कहेंगी चैनल वाले वैसा ही करेंगे। आखिर उनके दोनों हाथों में लड्डू जो है। एकता के कहने पर रियलिटी शो में कलाकारों का चयन हुआ।

खबरें तो यहाँ तक हैं कि उन्होंने अपने पिता जितेन्द्र को एक जज के रूप में भी रखवाया ताकि सब कुछ उनकी मनमर्जी का हो सके।

ये थे कारण : प्राची को विजेता घोषित किया गया और यह बात जगजाहिर है कि प्राची एकता के चचेरे भाई अभिषेक की फिल्म की हीरोइन है। प्राची देसाई विजेता बन जाती है तो फिल्म को प्रमोट करते समय इसका फायदा जरूर मिलेगा।

वाइल्ड कार्ड से जब प्राची देसाई पुनः आई थी तभी यह कहा जा रहा था कि वे अब विजेता बन जाएगी, जबकि सुधा चंद्रन जैसी स्थापित नृत्यांगना और संध्या मृदुल जैसे प्रतिभाशाली कलाकार शो में थे।

बात केवल सोनी टीवी की नहीं है। स्टार वाइस ऑफ इंडिया के विजेता भी वही बने, जिसे दर्शक नहीं चाहते थे। इस कार्यक्रम के फाइनल में तो दर्शकों से वह आँकड़ा भी छुपा लिया गया जिसके आधार पर पंजाब के इश्मित विजेता घोषित किए गए थे।

जी टीवी के कार्यक्रम के बाद भी इसी तरह की खबरें चली थीं कि अनिक धर (जो जीता) से बेहतर बीकानेर का राजा था। सोनी टीवी के इंडियन आइडल में भी यही सब हुआ।

इधर सहारा वन ने तो अपने एक रियलिटी शो में हद ही कर दी, जब सुरेश वाडेकर जैसे स्थापित गायक को 'झूम इंडिया' कार्यक्रम से बाहर होना पड़ा। इससे वाडेकर को इतनी शर्मिन्दगी झेलना पड़ी कि वाइल्ड कार्ड से वापस आने की पेशकश भी उन्होंने ठुकरा दी।

यह सब कुछ देखकर यही कहा जा सकता है कि दर्शकों की भावनाओं से चैनल जब मर्जी आए, खिलवाड़ कर सकता है। जब आवाज उठाई जाती है तब दर्शकों को ही दोषी ठहराया जाता है। यह सिलसिला कब बंद होगा, यह तो नहीं कहा जा सकता। पर अब समय आ गया है कि दर्शक स्वयं सचेत हो जाएँ।

मोबाइल पर एसएमएस करने से पहले यह शर्त जरूर रखें कि उनके एसएमएस का सही मायने में उपयोग केवल पैसा कमाने के लिए नहीं वरन प्रतिभा चयन में हो रहा है। तभी जाकर रियलिटी शो की रियलिटी जनता को रियल लगेगी।

पूरे रियलिटी शो में करोड़ों रुपए का खेल होता है, जिसमें साफ तौर पर आम जनता से कमाए पैसे ही रहते हैं। दिनों-दिन बढ़ते जा रहे इन रियलिटी शोज के बजट को देखते हुए अब यह बात भी सामने आने लगी है कि क्यों न इन पर नियामक आयोग जैसी संस्था का नियंत्रण हो, ताकि शो की वस्तुस्थिति जनता के सामने आए और वाइल्ड कार्ड का प्रयोग चैनल अपनी मनमर्जी से न कर सके।

वैसे वाइल्ड कार्ड के प्रयोग में भी चैनल दर्शकों से एसएमएस जरूर बुलवा लेता है, ताकि दर्शकों को भी इसमें सब कुछ सच नजर आए। (नईदुनिया)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi