बदायूं के दोषियों को मिले 'फांसी' की सजा : मायावती
लखनऊ। बदायूं जिले में शाक्य समाज की दो नाबालिग बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उनको पेड़ से फांसी लगाकर नृशंस हत्या के पीड़ित परिवार के लोगों के दुःख में शामिल होने व उन्हें न्याय दिलाने में मदद करने एवं इस मामले की सही व समयबद्ध सीबीआई जांच कराने हेतु उत्तरप्रदेश व केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का बदायूं जिले के गांव कटरा सआदतगंज का दौरा सम्पन्न हुआ। बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश मायावती ने 1 जून को लखनऊ में स्थित अपने आवास 13 माल एवेन्यू में एक प्रेस कांफ्रेन्स को सम्बोधित किया और कहा कि दो नाबालिग बहनों के दर्दनाक कांड के बाद जैसे ही प्रदेश सरकार को आज मेरे बदायूं में जाने की यह जानकारी मिली तो फिर तुरन्त ही प्रदेश सरकार ने पीड़ित परिवार के लिखित अनुरोध के बिना ही इस पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने की मीडिया में अपनी बात प्रचारित करानी शुरू करवा दी थी। मायावती ने कहा कि मैं केन्द्र की सरकार को भी यह कहना चाहती हूं कि इस प्रकरण पर केन्द्र की सरकार के कुछ मन्त्रियों द्वारा बयान देने से या फिर पीड़ित परिवार के लोगों से मिलने से केवल काम नहीं चलेगा, बल्कि केन्द्र की सरकार को इस मामले की जल्दी से जल्दी समयबद्ध जांच कराकर इसके मुख्य दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलवानी होगी, ताकि आगे इस किस्म की वारदातों पर कुछ हद तक जरूर रोक लग सके और जिसके लिए पीड़ित परिवार ने उप्र सरकार का 'मुआवजा' तक भी लेने से मना कर दिया है, बल्कि कहा कि न्याय चाहिए और न्याय के लिए ही इन्होंने खासतौर से सीबीआई से जांच कराने की भी इसलिए मांग की है। वर्तमान सरकार का बलात्कारियों को इस प्रकार का गलत समर्थन देने का ही यह नतीजा है कि अब यहां प्रदेश में आम आदमी के साथ-साथ पुलिस वाले व उनकी बिरादरी के अपराधिक प्रवृत्ति रखने वाले लोगों का भी काफी ज्यादा मनोबल बढ़ गया है और अब वे लोग खासकर महिलाओं व नाबालिग बच्चियों पर जुल्म-ज्यादती व बलात्कार आदि की घटनाओं में काफी ज्यादा लिप्त पाए जा रहे हैं जो यहां की जनता के लिए यह एक अत्यन्त गम्भीर व चिन्ताजनक स्थिति है। उन्होंने कहा कि मैं उत्तरप्रदेश की सपा सरकार के बारे में यह भी कहना चाहती हूं कि उत्तरप्रदेश में अकेले अधिकारियों के तबादले करने से या फिर उन्हें निलम्बित या बर्खास्त करने से यहां कि बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था में कोई खास सुधार आने वाला नहीं है और न ही यहां के विकास कार्यों में कोई विशेष गति आने वाली है, बल्कि इसके साथ-साथ इनको, इनसे भी ज्यादा अपनी पार्टी के आपराधिक तत्वों व गलत लोगों के ऊपर काफी सख्ती से शिकंजा कसना होगा, तभी यहां प्रदेश में इन दोनों मामलों में कुछ हद तक बदलाव आ सकता है।उन्होंने कहा कि यदि ऐसा इनके लिए यह सब करना सम्भव नहीं है तो फिर इनके लिए यह ज्यादा बेहतर होगा कि इनको अपने व प्रदेश की जनता के हितों में खुद ही सरकार से इस्तीफा देकर अलग हो जाना चाहिए। ऐसी मेरी यहां की वर्तमान सपा सरकार को सलाह है, और यदि ये लोग ऐसा नहीं करते हैं तो फिर हमारी पार्टी की उत्तरप्रदेश के महामहिम राज्यपाल से आज फिर से यही गुजारिश है कि इनको अब बिना कोई देरी किए यहां राष्ट्रपति शासन लगाने की अपनी सिफारिश केन्द्र सरकार के पास तुरन्त ही भिजवा देना चाहिए, जिसके लिए हमारी पार्टी पिछले कई महीनों से इसकी लगातार मांग करती आ रही है।मायावती ने कहा, इस मामले में केन्द्र की भाजपा सरकार को भी इसके लिए गम्भीरता से पहल करनी चाहिए अर्थात अब यहां भाजपा द्वारा यहां के लोगों की इन सभी समस्याओं को लेकर केवल धरना-प्रदर्शन करने से व मीडिया में आए दिन अपनी बयानबाजी आदि के नाटक करने से कार्य नहीं चलने वाला है, बल्कि इसके लिए इनकी केन्द्र की सरकार को आगे आकर कोई न कोई ठोस कदम जरूर उठाने होंगे, वरना यहां की जनता सपा सरकार के साथ-साथ उत्तरप्रदेश के महामहिम राज्यपाल व केन्द्र की मौजूदा भाजपा सरकार को भी कदापि माफ नहीं करेगी। और ऐसी स्थिति में फिर हमारी पार्टी को भी आगे चलकर, इन सबके खिलाफ कोई न कोई सख्त कदम जरूर उठाना पड़ेगा। उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को उनके पद से कल अचानक हटाए जाने के सवाल का जवाब देते हुए प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि प्रदेश की सपा सरकार में मुस्लिम, अपरकास्ट व अन्य पिछड़े वर्ग के समाज से ताल्लुक रखने वाले जिन भी अधिकारियों की अच्छे पदों पर तैनाती की गई है वे जनहित के मद्देनजर रखकर नहीं किए गए हैं बल्कि पूर्ण रूप से राजनीतिक स्वार्थ के तहत ही उन अधिकारियों की तैनाती की गई है। और जहां तक दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले अफसरों का मामला है तो इस सपा सरकार में उनका कोई महत्व नहीं है और उनके साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हटाए गए मुख्य सचिव जावेद उस्मानी में सभी खूबियां हैं, लेकिन उनको तैनात करके लोकसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम वर्ग में अपना स्वार्थ हासिल कर लेने के बाद अब उन्हें उनके पद से हटा दिया गया है। प्रदेश के नए मुख्य सचिव आलोक रंजन भी अच्छे अफसर हैं, परन्तु सपा सरकार जिस प्रकार से अधिकारियों का राजनीतिकरण कर रही है, वो सही नहीं है और इससे अधिकारियों का मनोबल गिरता है व जनता को उनकी सही क्षमता का लाभ नहीं मिल पाता है।एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बीएसपी प्रमुख ने कहा कि बदायूं में पीड़ित परिवार के लोग मुआवजा नहीं बल्कि न्याय पाने के लिए प्रयत्नशील है और हमारी पार्टी उन्हें उचित न्याय दिलाने के लिए हरसम्भव प्रयास करेगी। आज मेरा वहां जाना भी इसी प्रयास का एक हिस्सा है।