शंकर दयाल सिंह अमृत महोत्सव
नई दिल्ली , गुरुवार, 27 दिसंबर 2012 (20:38 IST)
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हिन्दी हमारी राजभाषा ही नहीं, जनभाषा भी है। हमारे संस्कारों से जुड़कर यह परिष्कार की भाषा हो जाती है। हालांकि देश का आभिजात्य वर्ग अंग्रेजी को ही अपनी भाषा मानने लगा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।' यह बात लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार ने कही। वे गुरुवार को यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित समारोह में शंकर दयाल सिंह जनभाषा सम्मान समारोह की मुख्य अतिथि थीं। प्रतिष्ठित साहित्यकार-राजनीतिक स्व. शंकर दयाल सिंह की स्मृति में स्थापित जनभाषा सम्मान पहले-पहल इस वर्ष अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति, अमेरिका को दिया गया। सम्मान के तौर पर प्रशस्ति-पत्र के साथ ही एक लाख रुपए की राशि भी दी गई। कार्यक्रम में सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने लेखक-पत्रकार रंजन कुमार सिंह की पुस्तक What... Why… How To Do का विमोचन भी किया।समारोह का आयोजन शंकर संस्कृति प्रतिष्ठान तथा पारिजात के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। श्रीमती मीरा कुमार ने समाज में व्याप्त हिंसा पर भी चिन्ता जताते हुए कहा कि जो लोग बच्चियों का देवी-पूजन करते हैं, वही फिर उनके बड़े होने पर उनके दुश्मन हो जाते हैं। बेहद संवेदनशील संभाषण में उन्होंने कहा कि व्याभिचार की यह भावना जिस तरह से बढ़ती जा रही है, वह हमारे मनुष्य होने पर ही प्रश्नचिन्ह लगाता है। उन्होंने समाज मे दहेज को लेकर व्याप्त विभीषिका को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि ऐसे में शंकर दयाल सिंहजी की मनुष्यता और भी याद आती है। वह उन लोगों मे थे जो मूल्यों के प्रति हमेशा संवेदनशील रहे। बॉलीवुड कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा ने शंकर दयाल सिंह के ठहाकेदार व्यक्तित्व को याद करते हुए कहा कि हिन्दी को लेकर मेरा रुझान उनके ही कारण है। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारे व्यवहार की भाषा तो होनी ही चाहिए, साथ ही अंग्रेजी को भी अछूत नहीं समझा जाना चाहिए क्योंकि वह व्यापार की भाषा है।
स्व. शंकर दयाल सिंह 1971 से 1977 तक लोकसभा के तथा 1990 से 1995 तक राज्यसभा के सदस्य रहे थे। वह राष्ट्रभाषा के जितने बड़े हिमायती थे, उतने ही बड़े पक्षधर वे जनभाषा के भी थे। ऐसे व्यक्तित्व के 75वें जन्म वर्ष को देशभर में शंकर अमृत महोत्सव के तौर पर मनाया जा रहा है। इस क्रम में अब तक दिल्ली, गोवा, इंदौर, सालासर (राजस्थान) तथा औरंगाबाद (बिहार) में कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। इनमें से एक आयोजन राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील के सान्निध्य में हो चुका है। शंकर अमृत महोत्सव का आयोजन उनके 75वें जन्मदिन 27 दिसम्बर 2011 से शुरू हुआ था।समारोह के पहले चरण में बिपिन मिश्र और सिद्धिशंकर ने शंख और नगाड़े के साथ आदित्य हृदयम का संगीतमय पाठ किया। इसके साथ ही लक्ष्य एवं आयुष मोहन गुप्त ने सितार और सरोद की युगलबंदी प्रस्तुत की। स्व. सिंह की पुत्री एवं सामाजिक सुविधा संगम की संस्थापक निदेशक रश्मि सिंह ने रंजन कुमार सिंह की पुस्तक का अंश पढ़कर सुनाया। धन्यवाद ज्ञापन रचिता रम्या ने किया। समारोह की अध्यक्षता सिद्धेश्वर प्रसाद ने किया, जिसमें त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी, हरिकिशोर सिंह, राजीव प्रताप रूड़ी, बिन्देश्वर पाठक, वेदप्रताप वैदिक, किरण चोपड़ा, श्याम सिंह शशि आदि मौजूद थे।