कन्नूर (केरल)। उत्तरप्रदेश के एक व्यक्ति ने एक बैंक से महज 600 रुपए चुराए और फिर पकड़े जाने के बाद जेल से फरार होने का प्रयास किया, लेकिन 21 वर्षीय व्यक्ति की हृदयविदारक कहानी को सुनकर जेल के अधिकारियों ने जमानत दिलाने और वापस अपने परिवार लौटने के लिए प्रवासी श्रमिक की सहायता की। दरअसल, उसने भूख लगने के कारण और अपनी मां से मिलने के लिए वापस लौटने की खातिर ये रुपए चुराए थे।
कोविड-19 के कारण जारी लॉकडाउन के चलते वह फंस गया था, उसकी नौकरी चली गई थी और फिर उसे एक बार भीख भी मांगनी पड़ी। अधिकारियों ने बताया कि अजय बाबू सोमवार को हमीरपुर जिले के सिसोलर गांव में अपने परिवार के पास पहुंच गया।
उन्होंने बताया कि केरल जेल विभाग के कुछ नेकदिल कर्मचारियों, कासरगोड के एक वकील और कानूनी सेवाओं के अधिकारियों ने उसकी दुर्दशा से सहानुभूति जताते हुए उसकी मदद की। उसे पांच सौ रुपए जेब खर्च, दो जोड़ी कपड़े और दिल्ली जाने वाली रेलगाड़ी का टिकट दिया, जहां से वह अपने गांव पहुंच सके।
कन्नूर विशेष जेल के अधीक्षक टीके जनार्दन ने बताया, सोमवार की सुबह झांसी रेलवे स्टेशन पर बाबू के रिश्तेदारों ने उसका स्वागत किया। मुझे उसे उसकी मां और रिश्तेदारों से मिलने का वीडियो मिल गया है।
भीख मांगते हुए भुखमरी के कगार पर पहुंचे बाबू ने एक बैंक के रोशनदान से अंदर घुसकर नकदी बक्से से 600 रुपए निकाल लिए। इस पैसे से वह पास के ढाबे पर खाना खाता था और उसी इलाके में सोता था। उसे अपने अपराध का इल्म भी नहीं था।
अधिकारी ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अगले दिन उसे गिरफ्तार किया गया था। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत उसे 25 मार्च को यहां केंद्रीय कारागार के पृथक-वास कक्ष में रखा गया जहां से वह भाग गया क्योंकि वह पुलिस द्वारा जब्त फोन को प्राप्त करना चाहता था ताकि अपनी मां से बात कर सके।(भाषा)