जम्मू। कश्मीर फिर से उबाल पर है, क्योंकि जेकेएलएफ के नेता यासिन मलिक को उम्रकैद दिए जाने जाने की घटना के बाद कश्मीर में हिंसा भड़कने लगी है। ऐसे में पुलिस विभाग ने अगर अपने सभी कर्मियों व अफसरों की छुट्टियों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है, वहीं एक पखवाड़े के दौरान हिंसा में आई बिजली-सी तेजी को देखते हुए सेना व अन्य अर्द्धसैनिक बलों के अतिरिक्त जवानों की तैनाती फिर से की जाने लगी है।
पुलिस अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है कि यासिन मलिक को सजा दिए जाने के बाद कश्मीर धधक सकता है। चिंगारी की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में हालात को थामने की खातिर पुलिस बल के जवानों को छुट्टियां देना तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है।
हालांकि उनका यह भी कहना था कि पहले से ही करीब 15 दिनों से कश्मीर में आतंकी हिंसा में आई तेजी के कारण भी फोर्स की कमी महसूस की जा रही थी जिसे देखते हुए भी ऐसा कदम उठाया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक बड़ी संख्या में पाकपरस्त व तालिबानी आतंकियों के कश्मीर में घुस आने की खबरों के बाद सेना व अन्य अर्द्धसैनिक बलों ने भी अतिरिक्त तैनाती करनी आरंभ की है।
एक अधिकारी के मुताबिक जिस तरह के हमले और हत्याओं का दौर कश्मीर में पिछले 15 दिनों के दौरान देखने को मिला है, उससे स्पष्ट होता है कि आतंकियों के नए जत्थे कश्मीर में प्रवेश करने में कामयाब रहे हैं। यह बात अलग है कि इस मामले पर सेना और पुलिस आमने-सामने है।
सेना कहती है कि घुसपैठ के इक्का-दुक्का मामले ही सामने आए हैं और उनमें से अधिकतर में आतंकियों को मार गिराया गया है। पर पुलिस कहती है कि पिछले एक पखवाड़े में मुठभेड़ों में मारे जाने वाले आतंकियों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिकों के शामिल होने से स्पष्ट होता था कि विदेशी आतंकी कश्मीर में घुसपैठ करने में कामयाब हो रहे हैं।
पुलिस के दावों का आधार स्थानीय लोगों के बयान भी हैं जिनमें वे कहते हैं कि वे कई इलाकों में अनजान और पश्तो बोलने वाले व्यक्तियों को देख चुके हैं। जानकारी के लिए तालिबानी आतंकी ही पश्तो भाषा बोलते हैं और जम्मू के सुंजवां में मारे जाने वाले आतंकी भी पश्तो ही बोल रहे थे।(फ़ाइल चित्र)