कोच्चि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत (आईएएसी) को 2 सितंबर को नौसेना में शामिल करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी देते बताया कि प्रधानमंत्री यहां कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के अंदर 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से निर्मित इस विमानवाहक पोत को भारतीय नौसेना में शामिल करेंगे।
समुद्री परीक्षण के चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद भारतीय नौसेना ने 28 जुलाई को सीएसएल से इस विमानवाहक पोत को हासिल किया था। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल कार्यक्रम को 2 सितंबर को सीएसएल जेटी में आयोजित किया जाना है। भारत के पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के सेवानिवृत्त कर्मचारी, रक्षा, जहाजरानी मंत्रालय और राज्य सरकार के अधिकारी इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में 1500-2000 लोगों की उपस्थिति की संभावना है। आईएसी हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।
विमानवाहक पोत के लिए लड़ाकू विमानों को लाया गया है। यह मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर और एमएच-60आर बहुउद्देश्ईय हेलीकॉप्टर का संचालन करने के लिए तैयार है। 'विक्रांत' की आपूर्ति के साथ भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी विमानवाहक पोत को डिजाइन करने समेत इसके निर्माण की क्षमता है।
भारतीय नौसेना की शाखा नवल डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) द्वारा डिजाइन किए गए इस विमानवाहक पोत का निर्माण सर्वाजनिक क्षेत्र की कंपनी सीएसएल ने किया। इसमें 2,300 से अधिक डिब्बे हैं जिन्हें लगभग 1700 लोगों के दल के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें महिला अधिकारियों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन भी शामिल हैं।
विक्रांत की अधिकतम गति लगभग 28 समुद्री मील है और इसकी लंबाई 262 मीटर है। यह 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है। इसका निर्माण वर्ष 2009 में शुरू हुआ था। विक्रांत का 'उड़ान डेक' 2 फुटबॉल मैदानों के बराबर है। यदि कोई विक्रांत के गलियारों से होकर चले तो उसे 8 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी।(भाषा)