लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि वह हमेशा अपने पिता सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर चलेंगे और कांग्रेस के साथ गठबंधन पर एक-दो दिन में निर्णय ले लिया जाएगा।
चुनाव आयोग के समक्ष 'साइकिल' की लड़ाई में मिली जीत के बाद अखिलेश ने बधाई देने वाले मंत्रियों, विधायकों और समर्थकों के बीच संवाददाताओं से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि उन्हें सपा का आधिकारिक चुनाव निशान साइकिल मिलने का पूरा भरोसा था।
उन्होंने कहा कि अब उनके सामने विधानसभा चुनाव जीतने की चुनौती है। वह सोमवार रात अपने पिता मुलायम से आशीर्वाद लेने गए थे। वह हमेशा उन्हें साथ लेकर चलेंगे। यह रिश्ता अटूट है। अगला चुनाव उनके मार्गदर्शन में लड़ा जाएगा। अब मुझ पर बड़ी जिम्मेदारी है, इसके लिए सभी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का सहयोग चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की सम्भावना के सवाल पर कहा कि इस तालमेल पर निर्णय एक-दो दिन में ले लिया जाएगा। इस बारे में औपचारिक ऐलान लखनऊ में किया जाएगा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि अभी इसके लिए इंतजार करना होगा।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री कांग्रेस के साथ गठबंधन की हिमायत बार-बार करते रहे हैं। उनका कहना है कि वैसे तो सपा अपने दम पर सरकार बनाने लायक बहुमत हासिल कर लेगी, लेकिन अगर कांग्रेस का साथ मिला तो वह 403 में से 300 से ज्यादा सीटें जीत लेगी। सपा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में फिर से समाजवादियों की सरकार बनाना उनका लक्ष्य है।
ज्ञातव्य है कि सत्तारूढ़ सपा पर वर्चस्व और उसके चुनाव चिन्ह पर कब्जे को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव खेमे के बीच चुनाव आयोग में चल रही दस्तावेजी जंग अखिलेश के पक्ष में गई और चुनाव आयोग ने उन्हें पार्टी का नाम तथा उसके चुनाव चिन्ह साइकिल पर अधिकार दे दिया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नसीम जैदी तथा दो अन्य चुनाव आयुक्तों के दस्तखत से आज शाम जारी आदेश में आयोग ने कहा कि अखिलेश के नेतृत्व वाला खेमा ही समाजवादी पार्टी है और उसे ही पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह साइकिल पाने का हक है।
इसी के साथ पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर अखिलेश और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के बीच विगत 15 दिन से चल रहा विवाद आयोग के समक्ष समाप्त हो गया।
गत एक जनवरी को सपा के राष्टीय अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था जबकि मुलायम को पार्टी का 'सर्वोच्च रहनुमा' का पद दिया गया था। इसके अलावा सपा महासचिव अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित करने तथा शिवपाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का निर्णय भी लिया गया था।
मुलायम ने इस सम्मेलन को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसमें लिए गए तमाम फैसलों को अवैध ठहराया था। पार्टी के चुनाव चिहन ‘साइकिल’ पर सपा के दोनों गुटों ने चुनाव आयोग के समक्ष दावा पेश किया था, जिस पर अखिलेश के पक्ष में निर्णय हुआ।
हालांकि सपा मुखिया ने संकेत दिए थे कि अगर आयोग में उनके पक्ष में फैसला नहीं हुआ तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। (भाषा)