जयपुर। एक ओर जहां शादी-विवाह में दिखावा और फिजूलखर्ची शान का पर्याय बन गया है, वहीं दूसरी ओर सेवा भारती संस्था गरीब और विवाह का खर्च वहन नहीं कर सकने वाले परिवारों के लिए मदद का पर्याय बनी हुई है। गैरसरकारी संस्था सेवा भारती राजस्थान में अभी तक सर्वजातीय सामूहिक विवाह आयोजन के बैनर तले 1271 जोड़ों को परिणय सूत्र में बांध चुकी है।
राजस्थान में इस आयोजन को मिली सफलता के बाद सेवा भारती ने देश के अन्य राज्यों में भी इस तरह के आयोजन करने की योजना बनाई है। इस साल के अंत तक यह संख्या 1500 तक पहुंचने का अनुमान है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संस्था सेवा भारती के राजस्थान प्रमुख तुलसी नारायण ने कहा कि विवाह का खर्च नहीं उठा पाने वाले परिवारों के जोड़ों का विवाह सर्वजातीय सामूहिक विवाह आयोजन में करवाया जाता है। हालांकि यह रिश्ता दोनों परिवार मिलकर तय करते हैं और संस्था केवल विवाह करवाती है। मौजूदा समय में इस प्रकार के आयोजन की बहुत जरूरत है।
उन्होंने बताया कि संस्था विवाह के लिए दोनों पक्ष से नाममात्र की राशि लेती है ताकि दोनों परिवार किसी तरह की हीनभावना से ग्रसित नहीं हों। समिति की ओर से तय की जाने वाली राशि देने में दोनों परिवारों की भागीदारी रहती है। यह राशि 4,100 से अधिक नहीं होती।
तुलसी नारायण के अनुसार आरएएस ने 2010 में सबसे पहले भवानीमंडी से इस आयोजन की शुरुआत की थी, प्रदेश में अब तक सर्वजातीय सामूहिक विवाह आयोजन में 1271 जोड़े परिणय सूत्र में बंध चुके हैं। राजस्थान में इस तरह के विवाह को मिली सफलता के बाद सेवा भारती संस्था ने दिल्ली, झारखंड और असम में भी सर्वजातीय सामूहिक विवाह आयोजन कर विवाह करवा रही है।
उन्होंने बताया कि इस आयोजन में विवाह के लिए तय कानून का कड़ाई से पालन किया जाता है। लड़के और लड़की की उम्र संबंधित वैध दस्तावेज को देखने के बाद ही सामूहिक विवाह में जोड़ों का नाम शामिल किया जाता है। (भाषा)